नई दिल्ली, 4 जनवरी – अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पहली हिंदू सदस्य तुलसी गाबार्ड का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद भारत और अमेरिका के संबंधों में नई जान आई है। गाबार्ड चाहती हैं कि दोनों देशों की सरकारें साइबर आतंकवाद सहित हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम करें।
तुलसी ने भारत दौरे के दौरान यहां आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “आतंकवाद एक शत्रु है, जो किसी एक देश का लबादा नहीं पहनता और न ही किसी एक देश के झंडे के प्रति सम्मान रखता है, बल्कि यह विश्व के विभिन्न हिस्सों में मौजूद है। इस खतरे को समाप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।”
तुलसी ने कहा, “इसके साथ ही पाकिस्तान सरकार और वहां के नेतृत्व को इन आतंकवादियों के खिलाफ मजबूत कदम उठाना होगा और कार्रवाई करनी होगी।”
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि मोदी और 26 जनवरी के अवसर पर भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे कि आतंकवाद के खतरे को अपेक्षाकृत अधिक गंभीरता से लेने का दबाव पाकिस्तान पर बनाया जाए।
33 वर्षीय तुलसी ने कहा, “दोनों ही देश सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हैं। दोनों का ध्यान आतंकवाद के खिलाफ और बढ़ते इस्लामिक चरमपंथ पर है। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम कैसे साइबर हमले के खिलाफ अपनी रक्षा के लिए बेहतर समन्वय बना सकते हैं, जो कि तेजी से बढ़ता एक खतरा है।”
तुलसी भगवद गीता में गहरा विश्वास रखती हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी के दृष्टिकोण से न सिर्फ भारतीय प्रवासी इत्तेफाक रखते हैं, बल्कि उनके दृष्टिकोण ने राजनीति, निजी क्षेत्र से जुड़े लोगों और उन लोगों में भी रुचि बढ़ाई है, जो यहां भागीदारी करना चाहते हैं।
16 दिसंबर से तीन जनवरी तक भारत दौरे पर रहीं तुलसी ने मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि उनके मन में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि को लेकर विशेष स्थान है। तुलसी ने एक-दूसरे की संस्कृ ति, परंपरा और व्यवसाय के अलग-अलग रूपों को समझने की उम्मीद जाहिर की।
तुलसी का जन्म विभिन्न संस्कृति और धर्मो से ताल्लुक रखने वाले परिवार में हुआ है। उनके माता-पिता की जड़ें सामोआ और यूरोप से जुड़ी हैं। पांच भाई-बहनों में चौथी तुलसी ने किशोरावस्था में हिंदू धर्म को अपना लिया था और भगवद गीता के उपदेशों का अनुसरण करने लगी।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में गीता की प्रासंगिकता को दर्शाते हुए वह कहती हैं कि गीता कर्मयोग और भक्तियोग पर आधारित है जो कि हम सभी लोगों के लिए और विश्व में मौजूद चुनौतियों से लड़ने में काफी प्रासंगिक है।
तुलसी ने कहा, “भगवान कृष्ण की सीख आज प्रासंगिक है, पहले भी थी और आगे भी रहेगी।”
भारत में अपनी 18 दिवसीय यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने इस दौरे का काफी लुत्फ उठाया।
उन्होंने भारत के सात शहरों का दौरा किया और उनके लिए वृंदावन का दौरा आध्यात्मिक कायाकल्प की तरह था।