सैन फ्रांसिस्को, 12 जनवरी (आईएएनएस)। मीडिया की खबरों के अनुसार, फेसबुक ने कुछ साल पहले उपयोगकर्ताओं का डाटा बेचने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उसने इसके खिलाफ कार्रवाई करना तय किया।
गैर-कानूनी अदालती दस्तावेज देख चुकी एक वेबसाइट अस्र्टेक्निका डॉट कॉम के अनुसार, फेसबुक कर्मियों ने वर्ष 2012 में यूजर डाटा के अपने प्रमुख कोष को कंपनियों को देने के लिए ढाई लाख डॉलर की कीमत तय की थी।
शुक्रवार को आई रिपोर्ट के अनुसार, “अप्रैल 2014 में, फेसबुक ने पहले की ग्राफ एपीआई की कार्यप्रणाली बदल दी।”
रिपोर्ट के अनुसार, “कंपनी ने कुछ डाटा को प्रतिबंधित कर दिया और जून, 2015 तक पूर्ववर्ती संस्करण के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया।”
वाल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक कर्मियों ने कुछ विज्ञापनदाताओं को यूजर डाटा के बदले और ज्यादा रुपये देने का दवाब डालने पर चर्चा की।
अस्र्टेक्निका डॉट कॉम के अनुसार, फेसबुक ने विभिन्न कंपनियों को ग्राफ एपीआई की ‘वी1.0’ को चलाने की अनुमति दी। इन कंपनियों में निसान, रॉयल बैंक ऑफ कनाडा थीं और अब क्रिस्लर/फिएट, लिफ्ट, एयरबीएनबी और नेटफ्लिक्स के अतिरिक्त अन्य कंपनियां हैं।
फेसबुक के एक प्रवक्ता के हवाले से हालांकि कहा गया कि अदालती दस्तावेजों में निसान और रॉयल बैंक ऑफ कनाडा के अतिरिक्त क्रिस्लर/फिएट और अन्य कंपनियों का नाम गलती से आ गया।
फेसबुक ने हालांकि अपना बचाव करते हुए कहा कि सिक्स4ट्री के दावों में कोई दम नहीं है, और हम आगे भी जोरदारी से अपना बचाव करते रहेंगे।