पणजी, 12 जनवरी – पर्यटन निकाय के एक अधिकारी का कहना है कि गोवा में पुलिस पर्यटकों के साथ अपराधियों जैसा सलूक करती है। ज्यादा टैक्सी और बाहरी वाहनों को देखकर जुर्माना वसूल करने को लेकर उत्साहित पुलिसवालों को गोवा की छवि अनुकूल व उचित पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने की जरूरत है।
‘ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन ऑफ गोवा’ के अध्यक्ष सवियो मेसियस ने शुक्रवार को पणजी में एक कार्यक्रम के मौके पर आईएएनएस से बातचीत में कहा कि तटीय राज्य के बढ़ते कचरा संकट से निपटने में नाकामी ने भी जापानी, फिनिश, डेनिश पर्यटन संचालकों को सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण गोवा से दूर किया है।
मेसियस ने कहा, “टैक्सी संचालकों और चालकों के बीच काफी अनुशासनहीनता है, जो गोवा से पर्यटकों को दूर करने के प्रमुख कारणों में से एक है। टैक्सी का किराया महंगा होने के कारण लोग अपनी कार से यात्रा करना पसंद करते हैं, जिसके कारण सड़कों पर वाहनों की भीड़ रहती है।”
यात्रा और पर्यटन उद्योग के हितधारक पिछले कुछ दिनों से, खासकर त्योहारों के सीजन में क्रिसमस और नववर्ष के मौके पर पर्यटकों की संख्या में अचानक आई गिरावट का जिक्र किया करते हैं।
गोवा में टैक्सी का किराया बेहिसाब है और अक्सर इजाफा होता रहता है।
उपयोगकर्ताओं के अनुसार, खराब मूल्य निर्धारण पैटर्न और एप-आधारित टैक्सी सेवाओं, जैसे- ओला और उबर उपलब्ध न होना भी इस समस्या का एक प्रमुख कारण है।
सीमाई मुद्दे, जैसे वस्तु एवं सेवा कर टैक्स स्लैब के चलते होटलों के किराए पर भी प्रभाव पड़ता है। ऑनलाइन पोर्टल द्वारा कमरा बुक कराने का चलन बढ़ा है। पर्यटन संख्या में कमी का कारण कराब मार्केटिंग नीति भी है। मेसियस ने खराब और भ्रष्ट नीति का जिक्र भी किया, जिसने पर्यटन स्थल के रूप में गोवा की छवि को प्रभावित किया है।
मेसियस ने कहा, “पुलिस उत्पीड़न सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बातों में से एक है। यह उनके वरिष्ठ प्रबंधन के लिए है या नहीं, हमें नहीं पता। लेकिन पुलिस को महाराष्ट्र या कर्नाटक के रजिस्ट्रेशन प्लेट के साथ यात्रा करने वाले पर्यटकों को रोकना और जुर्माना लगाते देखना आम बात है। गोवा में, ऐसा मालूम पड़ता है कि अगर आप पर्यटक हैं, तो फिर आपके साथ अपराधी जैसा सलूक किया जाता है।”
मेसियस ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा पेश आंकड़ा कि साल में सात लाख से अधिक पर्यटक आते हैं, बिल्कुल गलत है। उन्होंने मांग की कि पर्यटन मंत्रालय को हर साल गोवा आने वाले पर्यटकों की सही संख्या का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कराना चाहिए।