भोजपुरी और अवधी की जानी-मानी लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने लोक संगीत खासकर भोजपुरी संगीत के स्तर में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह लोक संगीत में आई मलिनता को दूर करके उसे साफ-सुथरा बनाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि हिन्दी सिनेमा अपने शुरूआती दौर से ही गीत और संगीत के मामले में पूरी तरह लोक संगीत पर निर्भर रहा है और यह चलन आज भी बदस्तूर जारी है। बॉलीवुड फिल्मों का 80 फीसदी गीत और संगीत लोक संगीत की कॉपी करके तैयार किया जाता है।
रणवीर सिंह स्मृति सैफई महोत्सव में प्रस्तुति देने के लिए आईं मालिनी अवस्थी ने कहा कि आप किसी से भोजपुरी या अवधी संगीत की बात कीजिए तो वह आपको बहुत तुच्छ नजर से देखेगा। इसकी वजह यह है कि पिछले कुछ वर्षो में लोक संगीत खासकर भोजपुरी संगीत के स्तर में बहुत गिरावट आयी है।
उन्होंने कहा कि इसमें इतनी मलिनता आ गयी है कि भोजपुरी या पूरब के संगीत को लोग फूहड़ मानते हैं। ऐसे-ऐसे द्विअर्थी और फूहड़ गाने होते हैं कि आप उन गानों को परिवार के साथ बैठकर सुन नहीं सकते हैं। वह कहती हैं कि महज कुछ लोगों की वजह से लोक संगीत का स्तर बहुत नीचे चला गया है। हमें अपने लोक संगीत की मलिनता को दूर करके उसके स्तर को ऊपर उठाना होगा।
मालिनी अवस्थी ने कहा कि भोजपुरी और अवधी लोक संगीत का एक दौर ऐसा था जब बॉलीवुड फिल्मों के निर्माता-निर्देशक लखनऊ, बनारस, गोरखपुर, पटना के चक्कर लगाते थे और लोक संगीत गायकों और संगीतकारों से अपनी फिल्मों में काम करने के लिए आग्रह करते थे। उन्होंने कहा कि आप हिन्दी फिल्म के किसी भी मशहूर गाने को उठाकर देखिए, वह हमारे लोक संगीत के किसी न किसी गीत की कॉपी करके तैयार किया गया होगा।
मालिनी अवस्थी ने कहा कि जब उन्होंने लोक संगीत को गाने का फैसला किया तो लोग उनसे कहते थे कि तुम इतनी पढ़ी-लिखी हो, अच्छे घर की हो, फिर तुम भोजपुरी और अवधी गाने क्यों गाती हो? अगर तुम गाने गाना चाहती हो तो बम्बई (अब मुंबई) चली जाओ। हिन्दी फिल्मों में गाने गाओ। लेकिन मैं किसी के दबाव में नहीं आयी और अपने फैसले को नहीं बदला। मैंने लोक संगीत को गले लगाया और साफ-सुथरे गाने गाए।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन लोक संगीत के स्तर में कुछ बदलाव जरूर लाया है। आज अगर कहीं मैं कार्यक्रम प्रस्तुत करती हूं तो लोग सपरिवार मुझे सुनने के लिए आते हैं। जिस दिन उत्तर प्रदेश सरकार ने मुझे यश भारती सम्मान से पुरस्कृत किया, उस दिन मुझे लगा कि मैं सही राह पर चल रही हूं और अपना काम सही तरीके से कर रही हूं।
मशहूर लोक गायिका गुलाब देवी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी फिल्मों के अभिनेता सुनील दत्त उनकी गायकी के इतने बड़े प्रशंसक थे उन्होंने अपनी कई फिल्मों में उनसे गाने गवाए। हिन्दी सिनेमा के कई मशहूर गाने जैसे- इन्हीं लोगों ने ले लीन्हा दुपट्टा मेरा.., हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का.., झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में.., मैं ससुराल नहीं जाऊंगी.. लोक संगीत की कॉपी करके तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लोक संगीत बहुत समृद्ध है। जरूरत है तो बस उसे ठीक ढंग से दुनिया के सामने प्रस्तुत करने की।
सैफई महोत्सव में मालिनी अवस्थी ने सबसे पहले देवी गीत प्रस्तुत किया। गीत के बोल थे- मइया खोल दा केवड़िया, बड़ी देर से खड़ी..। इसके बाद उन्होंने एक और देवी गीत- माई को भावे लाल चुनरिया..पेश किया। इसके बाद उन्होंने अवधी का सबसे पुराना और सबसे मशहूर गीत रेलिया बैरन पिया को लिए जाय रे.. प्रस्तुत किया।