ढाका, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऐतिहासिक जीत के साथ नया कार्यकाल सुरक्षित कर लिया है। यह चुनाव हिंसा और बड़े पैमाने पर धांधली के आरोपों से घिरा रहा, जिसे विपक्ष ने ‘हास्यास्पद’ बताते हुए इसकी निंदा की और दोबारा चुनाव की मांग की है।
हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग (एएल) पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने रविवार को हुए मतदान में 300 संसदीय सीटों में से 288 पर जीत हासिल की जबकि सरकार बनाने के लिए 151 सीटों की आवश्यकता होती है। इस अंकगणित के साथ आवामी लीग ने अपनी पिछली चुनावी जीत को पीछे छोड़ दिया और हसीना चौथी बार प्रधानमंत्री के पद पर काबिज होंगी।
‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के अनुसार, जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन ने सिर्फ सात सीटें जीती और मतदान को हास्यास्पद बताते हुए इसकी निंदा की। उन्होंने दोबारा से मतदान कराने की मांग की है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हसीना से फोन पर बात की और उनकी जीत पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “आगे के कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं।”
मोदी ने यह भी दोहराया कि भारत, बांग्लादेश के विकास और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता को जारी रखेगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एक ट्वीट में हसीना को शुभकामनाएं दीं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग ने भी बांग्लादेशी नेता को अपनी शुभकामनाएं दी।
बांग्लादेश की संसद में कुल 350 सीटें हैं जिनमें से 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त के.एम. नुरुल हुदा ने कहा कि 11वें राष्ट्रीय संसदीय चुनाव में 80 फीसदी मतदान हुआ था। 40 हजार से ज्यादा मतदान केंद्रों में से 16 पर मतदान रद्द कर दिया गया था।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने इस चुनाव को ‘देश के साथ क्रूर मजाक’ बताते हुए कहा कि पार्टी का पांच साल पहले आम चुनाव से दूर रहने का फैसला गलत नहीं था।
उन्होंने कहा, “इस तथाकथित भागीदारी चुनाव ने देश को लंबे समय के लिए नुकसान पहुंचाया है। कई लोग सोचते हैं कि बीएनपी का 2014 के चुनाव में शामिल न होना गलती थी। आज के चुनाव ने यह साबित कर दिया है कि वह गलत निर्णय नहीं था।”
300 सीटों में से 221 सीटों के परिणाम पर ‘अनियमितता’ के संदेह जताए जा रहे हैं।
विपक्षी जातीय ओइक्या फ्रंट ने भी परिणामों को अस्वीकार करते हुए दोबारा मतदान की मांग की है। गठबंधन प्रमुख कमाल हुसैन ने कहा, “हम चुनाव आयोग से इस हास्यास्पद परिणाम को तुरंत रद्द करने का आग्रह करते हैं।”
उन्होंने कहा, “हम चुनाव आयोग से तटस्थ सरकार के तहत नए चुनाव कराने का आह्वान करते हैं।”
हसीना सरकार पर चुनाव के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लगे। रविवार को सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों और विपक्ष के बीच में हुए संघर्ष में कम से कम 17 लोगों की मौत हुई थी।
चुनावों के दौरान हिंसा को रोकने के लिए देश भर में सेना की तैनाती की गई थी।
ह्यूमन राइट्स वॉच साउथ एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने ट्विटर पर कहा कि मतदाताओं के उन्हें धमकी देने के आरोप, विपक्षी पोलिंग एजेंटों पर प्रतिबंध और कई उम्मीदवारों द्वारा फिर से मतदान की मांग के मद्देनजर चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।