वृंदावन, 24 दिसंबर- वृंदावन के बच्चे यहां एक कार्यशाला में शहर के लिए एक विशेष मास्टर प्लान बनाएंगे, जिसे राज्य सरकार से लागू करने का अनुरोध किया जाएगा।
एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन के संयोजक जगन्नाथ पोद्दार ने आईएएनएस से कहा, “हम प्रथा बदलना चाहते हैं। अब तक नौकरशाह और नेता अपने विचार हम पर थोपते रहे हैं। अब समय आ गया है कि लोग खुद अपने भविष्य के लिए योजना बनाएं।”
पोद्दार ने कहा, “हाल के वर्षो में वृंदावन की पारिस्थितिकी, संस्कृति और विरासत का काफी तेजी से क्षरण हुआ है। हम चुपचाप अपने शहर के क्षरण को देखते नहीं रह सकते।”
बच्चों द्वारा तैयार किया जाने वाला मास्टर प्लान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा जाएगा।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता मधु मंगल शुक्ला ने आईएएनएस से कहा, “श्रीकृष्ण को बच्चों से काफी लगाव था। बच्चों को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।”
कार्यशाला धौरेरा के वृंदावन पब्लिक स्कूल में आयोजित किया जाएगा। इसमें संविद गुरुकुलम, भक्तिवेदांत गुरुकुलम और इंटरनेशनल स्कूल और वृंदावन पब्लिक स्कूल बच्चे हिस्सा लेंगे।
राज्य सरकार वृंदावन को मथुरा में मिलाकर स्थानीय निकाय को नगर निगम बनाना चाहती है। इससे श्रीकृष्ण भक्ति की वृंदावन विरासत के सामने खतरा पैदा हो गया है। स्थानीय लोग सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
वृंदावन विरासत के मुखर समर्थक आचार्य श्रीवत्स स्वामी ने आईएएनएस से कहा, “विलय एक संवेदनशील मुद्दा है और वृंदावन के लोग हड़बड़ी में उठाए जा रहे इस कदम का विरोध कर रहे हैं”
उन्होंने कहा, “यमुना और उसके ऐतिहासिक घाट की स्थित मृतप्राय हो चुकी है। घने जंगल लुप्त हो चुके हैं और पुरानी हवेली और मंदिरों का अस्तित्व खतरे में है।”
शुक्ला ने कहा, “अब मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने नदी के बीचोबीच एक पुल का निर्माण शुरू किया है। यह पुल नदी पार करने के लिए नहीं, बल्कि नदी के समानांतर है। सौभाग्य से न्यायिक हस्तक्षेप से इसका निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है। लेकिन कब तक?”
शहर में एक सबसे ऊंचे श्रीकृष्ण मंदिर, आलीशान बंगले, हेलीपैड व विशाल पार्किं ग स्थल बनाए जाने की योजना है।
डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट वृंदावनटुडे डॉट ऑर्ग के संपादक और श्रीकृष्ण भक्त जगदानंद दास ने आईएएनएस से कहा, “लेकिन क्या इन सब चीजों से इस आध्यात्मिक नगरी के माहौल में फिर से वही खुशियां वापस आ पाएंगी? क्या ये इस भूमि की विशिष्ट विरासत की रक्षा कर पाएंगे और चारो ओर व्याप्त बदबू को दूर कर पाएंगे? ये ऐसे सवाल हैं, जो योजनाकारों को खुद से पूछना चाहिए।”