हैदराबाद, 21 दिसम्बर- केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि धर्मातरण के मुद्दे पर भाजपा और संघ के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जिन लोगों का धर्मातरण हुआ है उन्हें यह अधिकार है कि वे फिर से धर्म बदल कर ‘घरवापसी’ करें।
नायडू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सरकार और महात्मा गांधी सभी ने यही कहा है। उन्होंने कहा, “अमित शाह (भाजपा अध्यक्ष) ने कहा है कि अगर आप धर्मातरण को लेकर चिंतित हैं तो धर्मातरण रोधी कानून बनाएं। इसमें टकराव कहां है।”
नायडू ने एक बार फिर दोहराया कि केंद्र सरकार धर्मातरण रोकने के लिए जबरन या एकतरफा कानून नहीं बनाएगी। इसे आम सहमति से ही किया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्मातरण या घरवापसी पर सरकार को कुछ नहीं करना है।
भाजपा नेता ने कहा कि धर्मातरण और घरवापसी देश की स्वतंत्रता के पहले से होता रहा है और इसमें नया कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज और हिंदू महासभा ने उत्तर प्रदेश में 1923 में बड़े पैमाने पर ‘शुद्धि’ कार्यक्रम आयोजित किए थे।
उन्होंने कहा कि देशभर में हजारों-लाखों लोगों का धर्मातरण किया गया, लेकिन विपक्षी पार्टियों को इसकी चिंता नहीं है।
नायडू ने कहा कि धर्मातरण लोगों की पसंद का विषय है और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं केवल यह रेखांकित करना चाहता हूं कि जब प्रलोभन के आरोप लगते हैं, तब आप इस पर बात नहीं करते। जब हिंदू का धर्मातरण होता है तब आपको लगता है कि कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन अगर दूसरे धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तन होता है तो आपको लगता है कि यह बड़ा मुद्दा है।”
उन्होंने कहा कि अगर कहीं जबरन या प्रलोभन के जरिये धर्मातरण या घरवापसी होता है तो यह गलत है और राज्य सरकार इस पर कार्रवाई करेगी। और अगर यह महसूस किया जाता है कि राज्य सरकार के कानून पर्याप्त नहीं हैं तो देशस्तरीय कानून की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक धर्मातरण पर किसी को आपत्ति नहीं है। जब जबरन या धोखाधड़ी से धर्मातरण होता है तो इससे समाज में तनाव व्याप्त होता है और तब सरकार को इसमें दखल देना होगा।