वाराणसी- पिछले 112 दिनों से गंगा सफाई की मांग लेकर आमरण अनशन पर बैठे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने गंगा नदी को अविरल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन बार पत्र लिखा था. हालांकि एक बार भी वहां से कोई भी जवाब नहीं आया.वे अपने पत्रों में बार-बार प्रधानमंत्री को याद दिलाते रहे कि गंगा नदी को जल्द से जल्द साफ करना कितना जरूरी है. लेकिन मोदी की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई.
पहला पत्र अग्रवाल जी ने उत्तरकाशी से 24 फरवरी 2018 को लिखा था, जिसमें वे गंगा की बिगड़ती स्थिति के साथ प्रधानमंत्री को साल 2014 में किए गए उनके उस वादे की याद दिलाते हैं जब बनारस में उन्होंने कहा था कि ‘मुझे मां गंगा ने बुलाया है.’
उन्होंने पत्र में प्रधानमन्त्री मोदी को संबोधित करते हुए लिखा ,
भाई, प्रधानमंत्री तो तुम बाद में बने, मां गंगाजी के बेटो में मैं तुमसे 18 वर्ष बड़ा हूं. 2014 के लोकसभा चुनाव तक तो तुम भी स्वयं मां गंगाजी के समझदार, लाडले और मां के प्रति समर्पित बेटा होने की बात करते थे. पर वह चुनाव मां के आशीर्वाद और प्रभु राम की कृपा से जीतकर अब तो तुम मां के कुछ लालची, विलासिता-प्रिय बेटे-बेटियों के समूह में फंस गए हो और उन नालायकों की विलासिता के साधन (जैसे अधिक बिजली) जुटाने के लिए, जिसे तुम लोग विकास कहते हो, कभी जल मार्ग के नाम से बूढ़ी मां को बोझा ढोने वाला खच्चर बना डालना चाहते हो, कभी ऊर्जा की आवश्यकता पूरी करने के लिए हल का, गाड़ी का या कोल्हू जैसी मशीनों का बैल. मां के शरीर का ढेर सारा रक्त तो ढेर सारे भूखे बेटे-बेटियों की फौज को पालने में ही चला जाता है जिन नालायकों की भूख ही नहीं मिटती और जिन्हें मां के गिरते स्वास्थ्य का जरा भी ध्यान नहीं.
मां के रक्त के बल पर ही सूरमा बने तुम्हारी चाण्डाल चौकड़ी के कई सदस्यों की नज़र तो हर समय जैसे मां के बचे खुचे रक्त को चूस लेने पर ही लगी रहती है. मां जीवीत रहे या भले ही मर जाए. तुम्हारे संविधान द्वारा घोषित इन बालिगों को तो जैसे मां को मां नहीं, अपनी संपत्ति मानने का अधिकार मिल गया है. समझदार बच्चे तो नाबालिग या छोटे रहने पर भी मातृ-ऋण उतारने की, मां को स्वस्थ-सुखी रखने की ही सोचते हैं और अपने नासमझ भाई-बहनों को समाझाते भी हैं. वे कुछ नासमझ, नालायक, स्वार्थी भाई-बहनों के स्वार्थ परक हित-साधन के लिए मां पर बोझा-लादने, उसे हल, कोल्हू या मशीनों में जोतने की तो सोच भी नहीं सकते खूच चूसने की तो बात ही दूर है.
तुम्हारा अग्रज होने, तुम से विद्या-बुद्धि में भी बड़ा होने और सबसे ऊपर मां गंगा जी के स्वास्थ्य-सुख-प्रसन्नता के लिए सब कुछ दांव पर लगा देने के लिए तैयार होने में तुम से आगे होने के कारण गंगा जी से संबंधित विषयों में तुम्हें समाझाने का, तुम्हें निर्देश देने का जो मेरा हक बनता है वह मां की ढेर सारी मनौतियों और कुछ अपने भाग्य और साथ में लोक-लुभावनी चालाकियों के बल पर तुम्हारे सिंहासनारूढ़ हो जाने से कम नहीं हो जाता है. उसी हक से मैं तुम से अपनी निम्न अपेक्षाएं सामने रख रहा हूं.
अग्रवाल जी की मांगे निम्नांकित थीं किन्तु सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया
1. गंगा जी के लिये गंगा-महासभा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम ड्राफ्ट 2012 पर तुरन्त संसद द्वारा चर्चा कराकर पास कराना (इस ड्राफ्ट के प्रस्तावकों में मैं, एडवोकेट एम. सी. मेहता और डा. परितोष त्यागी शामिल थे ), ऐसा न हो सकने पर उस ड्राफ्ट के अध्याय–1 (धारा 1 से धारा 9) को राष्ट्रपति अध्यादेश द्वारा तुरन्त लागू और प्रभावी करना.
2. उपरोक्त के अन्तर्गत अलकनन्दा, धौलीगंगा, नन्दाकिनी, पिण्डर तथा मन्दाकिनी पर सभी निर्माणाधीन/प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना तुरन्त निरस्त करना और गंगाजी एवं गंगाजी की सहायक नदियों पर सभी प्रस्तावित जलविद्युत परियोजनाओं को भी निरस्त किया जाए.
3. उपरोक्त ड्राफ्ट अधिनियम की धारा 4 (डी) वन कटान तथा 4(एफ) खनन, 4 (जी) किसी भी प्रकार की खुदान पर पूर्ण रोक तुरंत लागू कराना, विशेष रुप से हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में.
4. एक गंगा-भक्त परिषद का प्रोविजिनल (Provisional) गठन, (जून 2019 तक के लिए). इसमें आपके द्वारा नामांकित 20 सदस्य, जो गंगा जी और केवल गंगा जी के हित में काम करने की शपथ गंगा जी में खड़े होकर लें और गंगा से जुड़े सभी विषयों पर इसका मत निर्णायक माना जाए.
प्रभु आपको सदबुद्धि दें और अपने अच्छे बुरे सभी कामों का फल भी. मां गंगा जी की अवहेलना, उन्हें धोखा देने को किसी स्थिति में माफ न करें.
मेरे द्वारा आपको भेजे गए अपने पत्र दिनांक 13 जून 2018 का कोई उत्तर या प्रतिक्रिया न पाकर मैंने 22 जून 2018 से उपवास प्रारंभ कर दिया है. इसलिए शीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने तथा धन्यवाद सहित.
दूसरा पत्र उन्होंने उन्होंने हरिद्वार के कनखाल से 13 जून 2018 को लिखा.इसमें जीडी अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि उनके पिछले खत का कोई जवाब नहीं मिला है. अग्रवाल ने इस पत्र में भी गंगा सफाई की मांगों को दोहराया और जल्द प्रतिक्रिया देने की गुजारिश की.
इस पत्र का भी उनके पास कोई जवाब नहीं आया. इस बीच उनकी मुलाकात केंद्रीय मंत्री उमा भारती से हुई और उन्होंने फोन पर नितिन गडकरी से बात की थी. कोई भी समाधान नहीं निकलता देख उन्होंने एक बार फिर 5 अगस्त 2018 को नरेंद्र मोदी को तीसरा पत्र लिखा जो उमा भारती के हाथों पहुंचाना बताया .