नई दिल्ली, 1 दिसम्बर – कांग्रेस ने सोमवार को जानना चाहा कि अनूप मिश्रा को लोकसभा का नया महासचिव नियुक्त करने से पहले विपक्ष से क्यों विचार-विमर्श नहीं किया गया। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा लोकसभा में उठाया। इसके पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने घोषणा की कि मिश्रा ने सोमवार से कार्यभार संभाल लिया है।
खड़गे ने कहा कि वह लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की गई नियुक्ति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष से परामर्श करने की एक प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा कि जब सदन में कोई मान्यताप्राप्त नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो सरकार सीबीआई प्रमुख जैसे अधिकारियों की नियुक्ति में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को शामिल करने के लिए कानून में संशोधन कर रही है।
खड़गे ने सवाल किया, “मुझे आश्चर्य है कि इस मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया। मैं लोकसभा अध्यक्ष पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं एक अपील कर रहा हूं। क्या मैं संसदीय लोकतंत्र में कोई अपील नहीं कर सकता?”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने नियम देखे हैं और खड़गे इस मुद्दे पर उनके चैम्बर में चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “मैं क्षमा चाहती हूं। यह चर्चा का कोई मुद्दा नहीं बन सकता।”
केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री एम.वेंकैया नायडू ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि महासचिव की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष का एक विशेषाधिकार है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष से चर्चा करते हैं लेकिन लोकसभा में कोई मान्यताप्राप्त नेता प्रतिपक्ष नहीं है।
वेंकैया ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब लोकसभा सचिवालय के बाहर के किसी व्यक्ति को महासचिव नियुक्ति किया गया है।
मिश्रा ने सोमवार को लोकसभा महासचिव का पदभार संभाल लिया। इसके पहले वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।