नई दिल्ली, 25 नवंबर-| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के छह महीने पूरे हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने शासन की एक नई शैली का प्रदर्शन किया है। शासन के दौरान अनदेखी किए गए लोगों के बीच एक आशा की एक किरण जगाने में भी वह कामयाब हुए हैं। इंदिरा गांधी के बाद उन्हें सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने शासन में सुधार, रोजगार सृजन, बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा तथा स्वच्छ भारत का वादा किया है।
26 मई को पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने नौकरशाही से आलस त्यागने की बात कही थी, ताकि सरकार को लक्ष्य संचालित तथा निर्णायक बनाया जा सके।
पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार ने मोदी को एक निर्णायक नेता की संज्ञा देते हुए कहा कि उन्होंने कुछ बड़ी पहल की है, लेकिन इतनी जल्दी सरकार के प्रदर्शन को आंकने की यह जल्दबाजी होगी।
कुमार ने आईएएनएस से कहा, “बीते 25 वर्षो में मैंने उनके जैसा निर्णायक नेता नहीं देखा। उनका जो सपना है, वह भारत का भविष्य लग रहा है।”
कुमार को लगता है कि अगले वर्ष आने वाला बजट एक प्रमुख नीतिगत दस्तावेज होगा। उसके बाद ही परिणाम सामने आएंगे।
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने जन धन योजना, श्रमेव जयते, संसद आदर्श ग्राम योजना, पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, सरदार पटेल आवास योजना तथा जीवन प्रमाण जैसी योजनाएं शुरू की हैं।
मोदी के आलोचक उन्हें सारी शक्तियों को एक हाथ में केंद्रित करने का आरोपी ठहराते हैं।
कांग्रेस नेता एम.वीरप्पा मोइली कहते हैं कि मोदी सरकार बातों की शेर है, काम की नहीं।
मोइली ने आईएएनएस से कहा, “यदि आप भाषणों तथा नारों पर जाएं, तो मोदी का प्रदर्शन बेहद बढ़िया है।”
चेन्नई के राजनीतिक विश्लेषक एम.आर.वेंकटेश ने आईएएनएस से कहा, “सरकार में शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार अब लगभग समाप्त हो गया है।”
काले धन के मुद्दे पर वेंकटेश ने कहा, “जब सत्ता ने नहीं थी तब पार्टी ने काले धन को बड़ा मुद्दा बनाया। हालांकि वह जानती थी कि कानूनी कारणों से सरकार नामों का खुलासा नहीं कर सकती।”
राजनीतिक समीक्षक एस.निहाल सिंह ने आईएएनएस से कहा, “मोदी ने घरेलू नीतियों की अपेक्षा विदेश नीतियों के लिए ज्यादा काम किया है।”