बेंगलुरू, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। सरकार ने देश में सौ फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2030 का डेडलाइन तय नहीं किया है तथा पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों की प्रौद्योगिकी में निवेश करने वाली कंपनियों को नुकसान पहुंचा कर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मत्री अनंत गीते ने गुरुवार को यह बातें कही।
बेंगलुरू, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। सरकार ने देश में सौ फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2030 का डेडलाइन तय नहीं किया है तथा पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों की प्रौद्योगिकी में निवेश करने वाली कंपनियों को नुकसान पहुंचा कर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मत्री अनंत गीते ने गुरुवार को यह बातें कही।
मंत्री ने यहां ई-वाहन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आयोजित तीसरे सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए कहा, “विभिन्न फोरमों पर मैंने पहले भी कहा है और एक बार फिर मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे मंत्रालय ने देश के परिवहन का सौ फीसदी विद्युतीकरण करने का 2030 तक कोई डेडलाइन तय नहीं किया है।”
उन्होंने कहा, “कोई भी विकसित देश तब तक अपने 30 फीसदी वाहनों का भी विद्युतीकरण नहीं कर पाएगा। इसलिए हमें जल्दी करने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें अधिक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी हासिल करने की दिशा में काम करना होगा। इसके साथ ही हम नहीं चाहते कि जिस प्रकार से कच्चे तेल का आयात किया जाता है, उसी प्रकार से इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों (लिथियम ऑयन) का भी आयात किया जाए। लिथियन ऑयन बैटरियों का मुख्य रूप से चीन से आयात किया जाता है। हमें देश में ही इन बैटरियों को बनाने की जरूरत है।”
गीते ने कहा कि उपभोक्ता को केवल किफायती वाहनों की बजाए अच्छी गुणवत्ता के वाहनों की जरूरत है। उन्होंने वाहन उद्योग को आश्वस्त किया कि उनके मंत्रालय से हर तरह का सहयोग मिलेगा।
इस सम्मेलन में वाहन उद्योग से जु़ड़े 250 लोगों ने भाग लिया, जिसमें नीति निर्माता, वाहन कंपनियां, स्टार्ट-अप, आपूर्तिकता, शिक्षाविद, टेस्ट एचेंसियां, कंसलटेंट्स, प्रौद्योगिकी कंपनी और मीडिया से जुड़े लोग शामिल थे।
आईसीएटी के निदेशक दिनेश त्यागी ने सम्मेलन में कहा, “इस सम्मेलन का आयोजित करने का मुख्य लक्ष्य दक्षिण भारत में ई-वाहनों को बढ़ावा देना है, खासतौर से ई-रिक्शा को जो टिकाऊ मोबिलिटी का सिद्ध उदाहरण है।”