हरिद्वार, 2 नवंबर – देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने यहां रविवार को कहा कि पत्रकार शब्दों का सौदागर होता है, वह जब जैसा चाहे, समाज का रुख मोड़ सकता है। पत्र-पत्रिकाओं में बहुत ताकत होती है। विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रीय सकारात्मक पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रतिकुलपति ने कहा कि पत्रकारों को अपनी क्षमता का उपयोग समाज को सही दिशा देने में करना चाहिए।
वर्ष 1937 से सतत प्रकाशित पत्रिका ‘अखंड ज्योति’ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इसके आलेख शिक्षा के साथ-साथ विद्या के पक्ष को भी उभारते हैं। यह पत्रिका व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण व राष्ट्र निर्माण के लिए जन-जन को संकल्पित होने के लिए प्रेरित करती है। यह पत्रिका व्यावसायिक न होकर केवल ऊंचे उद्देश्य एवं वैचारिक परिवर्तन के लिए प्रकाशित होती है।
पीआईबी के निदेशक भूपेंद्र कैंथोला ने कहा कि सच्ची पत्रकारिता क्षेत्रों में घूमने से होती है, न कि वातानुकूलित कमरे में बैठकर।
दूरदर्शन देहरादून के निदेशक डॉ. के.के. रत्तू ने कहा कि मीडिया की सार्थकता तभी है, जब सकारात्मक पत्रकारिता देशभर में फैले। मुंबई की फिल्मकार आकांक्षा जोशी ने कहा कि नैतिकता व न्यायिक समझ को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
वहीं, डॉ. दिनेश चमौला ने कहा कि आज हर आदमी पत्रकार की भूमिका में फेसबुक, ट्यिूटर जैसे सोशल मीडिया में सक्रिय है।
राजकुमार भारद्वाज ने कहा कि श्रेष्ठ पत्रकारिता वह है, जिससे समाज को नई दिशा मिले। मुंबई से आए फिल्म निर्माता मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि व्यक्तित्व के धनी पत्रकार ही अच्छी पत्रकारिता कर सकता है।
भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से आईं डॉ. मोनिका वर्मा ने कहा कि देसंविवि के ‘पत्रकारिता विभाग’ पत्रकारिता को नए स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
किसान भारती के संपादक दिनेश सेमवाल के अलावा प्रो. सुरेंद्र पाल, नीरज खत्री, अमिताभ श्रीवास्तव आदि ने भी विचार प्रकट किए।
सेमिनार में पहुंचे फिल्मकार, वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादकों ने माना कि मीडिया एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जिससे जीवन की कई समस्याएं हल हो सकती हैं। इससे सैद्धांतिक व व्यावहारिक स्तर पर मार्गदर्शन भी मिलता है। सर्वधर्म समभाव को लेकर चल रहे मीडिया में हर आयु वर्ग की भागीदारी भी रहती है।
दो दिन तक चले इस सेमिनार में 25 विश्वविद्यालयों की ओर से 80 लघु शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ पांच शोधपत्र पुरस्कृत किए गए।