लखनऊ, 21 अक्टूबर – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जब आगरा पुलिस लाइन के शहीद आरक्षी खलीक अहमद की पत्नी शकीला से मिले तो वह फफफ कर रो पड़ीं और अपना दुखड़ा सुनाया। उनकी और अन्य शहीद-पत्नियों की शिकायत थी कि उन्हें बढ़ी रकम अभी तक नहीं दी गई है।
इसी तरह बागपत जिले के सिंघावली अहीर थाने के शहीद आरक्षी सुभाष चंद्र की पत्नी राजकुमारी ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपना दर्द बयां किया। इसी वर्ष 15 जुलाई को चेकिंग के दौरान बदमाशों की फायरिंग में सुभाष चंद्र शहीद हो गए थे।
शहीद आरक्षी विक्रम प्रताप की पत्नी तनु के पास अखिलेश जैसे ही पहुंचे, वह बिलख पड़ीं और रोते-रोते बेहोश हो गईं। पास में खड़ी सीओ (बीकेटी) गरिमा सिंह व अन्य महिला पुलिसकर्मियों ने उठाया और पानी पिलाकर अतिथि गृह ले गईं।
विक्रम प्रताप 10 सितंबर, 2013 को लखीमपुर जिले में बंदियों को न्यायालय ले जाते समय चार बदमाशों की गोलियों के शिकार हुए थे। बदमाशों ने पहले उनकी आंखों में मिर्ची पाउडर झोंक दी और विरोध करने पर गोलीबारी की।
इसी वर्ष 16 जून को शहीद हुए आरक्षी दिनेश प्रताप की पत्नी विनीता का भी रो-रोकर हाल बुरा था। दिनेश प्रताप फिरोजाबाद जिले के रामगढ़ थाने में तैनात थे। उन पर भी बदमाशों ने गोली बरसा दी थीं।
फिरोजाबाद जिले के ही रामगढ़ थाने में तैनात रहे आरक्षी गिरिराज किशोर भी 16 जून को ही शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी मालती देवी अपने पुत्र योगेंद्र के साथ स्मृति दिवस पर राजधानी पहुंची थीं। योगेंद्र ने मुख्यमंत्री से कहा, “पापा के शहीद हुए पांच महीने गुजर गए, अभी तक न तो शहीद होने का प्रमाणपत्र दिया गया है और न ही बढ़ी रकम दी गई है।”