नई दिल्ली, 20 अक्टूबर – राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2010 में कॉल सेंटर की एक महिला कर्मचारी का अपहरण करने और उसके साथ सामूहिक रूप से दुष्कर्म करने के एक मामले में दोषी ठहराए गए पांच अभियुक्तों को सोमवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि पांचों मनोरोगी हैं और उनके भीतर महिलाओं के प्रति जरा भी सम्मान नहीं है। अदालत ने पांचों को समाज के लिए खतरा बताया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने कहा, “यह न्याय की मांग है कि उन्हें दोषियों यथासंभव लंबे समय तक समाज से दूर रखा जाए।”
न्यायाधीश ने पांचों द्वारा किए गए अपराध को अत्यंत गंभीर और घिनौनी प्रकृति का बताया।
अदालत ने इसके पहले 14 अक्टूबर को पांचों आरोपियों को, 30 वर्षीया युवती का अपहरण करने और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का दोषी पाया था।
न्यायालय ने पांच दोषियों- शमशाद उर्फ खुटकन, उस्मान उर्फ काले, शाहिद उर्फ छोटा बिल्ली, इकबाल उर्फ बड़ा बिल्ली तथा कमरुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
अदालत ने दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद दोषी शाहिद अदालत कक्ष में बेहोश होकर गिर पड़ा। दोषियों के परिजनों ने फैसले पर निराशा जताई और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही।
फैसले में कहा है, “घटना के समय सभी दोषी विवाहित थे, उनके पास बच्चे थे, फिर भी वे अपनी हबस मिटाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर आसान शिकार की तलाश में घूम रहे थे। इससे स्पष्ट होता है कि दोषी मनोरोगी हैं और समाज में महिलाओं के प्रति उनके भीतर कोई सम्मान और इज्जत नहीं है और इसलिए वे पूरे समाज के लिए एक खतरा हैं।”
न्यायालय ने कहा है, “दुष्कर्म पीड़िता को पूरे जीवन दुष्कर्म के कलंक के जीना पड़ता है और इस तरह की घटना उसके जीवन और साथ ही उसके सपने को हिंसक तरीके से कुचल देती है।”
अदालत कक्ष दोषियों के रिश्तेदारों और मीडियाकर्मियों से भरा हुआ था। कुछ रिश्तेदार अदालत कक्ष के बाहर रोने लगे।
सजा सुनाए जाने से पहले सरकारी वकील ने पांचों दोषियों के साथ सख्ती से पेश आने का न्यायालय से आग्रह किया और उन्हें अधिकतम दंड देने की मांग की। उन्होंने कहा कि दोषी गंभीर अपराधों में लिप्त रहे हैं, जिसका पीड़िता के मन-मस्तिष्क पर गहरा आघात लगा है।
बचाव पक्ष के वकील ने हालांकि दया का आग्रह किया और कहा कि दोषी युवा हैं और चार वर्षो की सुनवाई के दौरान पहले ही मानसिक पीड़ा झेल चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, पांचों दोषियों ने 24 नवंबर, 2010 की शाम पूवरेत्तर की युवती को उस समय अगवा कर लिया था, जब वह एक मित्र के साथ दफ्तर से घर लौट रही थी।
अपहर्ता उसे मंगोलपुरी ले गए और वहां सभी ने मिलकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में दरिंदों ने उसे सड़क किनारे निर्जन स्थान पर छोड़ दिया। बाद में सभी को हरियाणा के मेवात क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संचालित सभी बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग) को आदेश जारी किया कि वे महिला कर्मचारियों को काम खत्म होने के बाद उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने का प्रबंध करें।