नई दिल्ली- हाल के दिनों में अंतर्राष्ट्रीय तेल मूल्य में गिरावट एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है और यदि यह स्थिति आगे भी जारी रहती है तो इसका सकारात्मक असर वित्तीय, कारोबारी, व्यापार और उपभोक्ता खर्च जैसे सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा।
जून के बाद से तेल मूल्य में चौथाई से अधिक गिरावट आई है और शुक्रवार को यह 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब था।
विश्लेषकों के मुताबिक यूरोप में मंदी की आहट, चीन की विकास दर में गिरावट, अमेरिका में शैल गैस का उत्पादन बढ़ना और ओपेक सदस्य देशों द्वारा तेल उत्पादन समान स्तर पर जारी रखना जैसे कारणों से तेल मूल्य में गिरावट आई है।
विश्व युद्ध के बाद के वर्षो में तेल मूल्य कम रहने के कारण वैश्विक विकास में तेजी आई थी। नकारात्मक पहलू यह है कि 1980 के दशक में तेल मूल्य घटने के कारण सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई और अंतत: सोवियत संघ का विघटन हो गया था।
तेल मूल्य में ताजा गिरावट का आज भी रूस, ईरान, वेनेजुएला और मध्य पूर्व के देशों पर व्यापक असर पड़ सकता है।
सच्चाई यह है कि तेल एक राजनीतिक कमोडिटी है और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इसका उपयोग सहयोग और संघर्ष में होता रहा है।
स्तंभकार थॉमस फ्रीडमैन के मुताबिक तेल मूल्य में गिरावट को अमेरिका द्वारा रूस के विरुद्ध उपयोग किए जाने वाले एक अस्त्र के रूप में देखा जा सकता है, जिसका यूक्रेन के साथ विवाद चल रहा है। यही स्थिति अमेरिका की ईरान के साथ भी है, जिसके साथ परमाणु समझौते की समय सीमा नवंबर में रखी गई है।
कुछ अन्य विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका के शैल गैस की बाजार में बड़े पैमाने पर आपूर्ति के कारण कारोबार से बेदखल हो जाने से बचने के लिए ओपेक सदस्य देश अपने तेल की कीमत घटा रहे हैं।
इन सभी स्थितियों के बीच भारत को साफ तौर पर फायदा ही फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि तेल मूल्य के साल के शेष महीनों में भी कम ही रहने की संभावना है।
भारत अपनी जरूरत का तीन-चौथाई से अधिक तेल आयात करता है और तेल मूल्य बढ़ने के कारण महंगाई बढ़ती है और कई क्षेत्रों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। मूल्य घटने से परिवहन, विमानन और ऊर्जा पर निर्भर उद्योगों को राहत मिलेगी।
इसके कारण तेल और ऊर्वरक संबंधी सरकार का सब्सिडी खर्च कम होगा। चालू खाता घाटा कम होगा। तेल मूल्य कम होने से उपभोक्ताओं के पास खर्च करने योग्य आय भी बढ़ेगी। तेल सस्ता होने से महंगई घटेगी और इसके कारण ब्याज दर भी निर्धारित समय से पहले घट सकती है।
इस स्थिति का फायदा उठाते हुए सरकार ने शनिवार को डीजल मूल्य नियंत्रण मुक्त कर दिया। इसके तुरंत बाद देश में दो राज्यों में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली अपार सफलता के बाद भाजपा नीत नरेंद्र मोदी की सरकार के पास सुधार के पथ पर मजबूती से आगे बढ़ने के लिए रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है।