सासाराम, 15 अक्टूबर \-धान का कटोरा कहे जाने वाले बिहार के रोहतास और कैमूर जिले के बुजुर्गो की आंखें पथरा गई थी, परंतु उनके खेतों में दुर्गावती का पानी नहीं पहुंच सका था। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने करीब चार दशक पुराने दुर्गावती जलाशय परियोजना का बुधवार को उद्घाटन किया, इससे इन दोनों जिलों के लोगों के खेतिहरों में इस आशा का संचार हुआ है कि अब उनके खेतों में भी फसल लहलाएगी हालांकि रोहतास के खेतों में अभी पानी पहुंचने में देर है।
दुर्गावती जलाशय परियोजना से 33467 हेक्टेयर भूमि सिंचित होने का लक्ष्य है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के पिता और तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री जगजीवन राम ने वर्ष 1976 में इस परियोजना की बुनियाद रखी थी परंतु कई कारणों से इस परियोजना का पानी किसानों के खेतों में नहीं पहुंच पाया था।
इस परियोजना में दाएं मुख्य नहर की लंबाई 34़ 08 किलोमीटर है जबकि बाएं मुख्य नहर की लंबाई 22़ 60 किलोमीटर है। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कैमूर जिले के भगवानपुर, रामपुर, कुदरा, दुर्गावती और मोहनिया प्रखंड के करीब 21772 हेक्टेयर तथा रोहतास जिले के चेनारी और शिसागर प्रखंड की 11695 हेक्टेयर की भूमि सिंचित होगी।
कैमूर पहाड़ी से प्रवाहित दुर्गावती नदी पर रोहतास एवं कैमूर के दो शिखरों को बांधकर नहर निकालने के लिए 10 जून 1976 को जगजीवन राम ने बांध का शिलान्यास किया था। उस समय इसकी प्राक्कलित राशि 25 करोड़ रुपये थी। उस समय काम प्रारंभ हो गया परंतु कलांतर में इसमें शिथिलता आ गई। कभी बांध में दरार तो कभी निविदा को लेकर विवाद। इधर 600 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास एवं डूब क्षेत्र में पड़ने वाले वनभूमि को लेकर विवाद प्रारंभ हो गया।
आज इस परियोजना का लागत 1065 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी कहते हैं कि बिहार सरकार की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस परियोजना के पानी को खेतों में पहुंच जाने से न केवल खेत सिंचित होंगे बल्कि किसानों की खुशहाली भी लौटेगी।
इधर, भले ही इस परियोजना का उद्घाटन कर दिया गया हो परंतु अभी भी रोहतास के किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाएगा। किसानों का कहना है कि अभी मुख्य नहर में काफी काम बाकी है।
दुर्गावती जलाशय से रोहतास जिले में चेनारी, शिवसागर और सासाराम प्रखंड के दक्षिणी भग कैमूर पहाड़ी की तलहटी से मुख्य नहर निकाली गई है। इन प्रखंडों में कई ऐसी नदियां हैं, जिनके लिए नहर में साइफन बनाया जाना है तथा पुल-पुलिया का निर्माण किया जाना है। अधिकांश साइफन और पुल-पुलिया का निर्माण अभी बाकी है।
शिवसागर प्रखंड के जगत सिंह कहते हैं कि मेंहवां नदी के साइफन की तो नींव ही नहीं पड़ी है। रोहतास के किसानों को अभी पानी कहां से मिलेगा। उनका कहना है कि उद्घाटन के नाम पर रोहतास के किसानों को छलने का काम किया गया है। यह उद्घाटन राजनीतिक श्रेय लेने का हथकंडा हो गया है।
सासाराम के सांसद छेदी पासवान कहते हैं परियोजना का दायां तटबंध का काम अभी पूरा ही नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार का लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से रोहतास और कैमूर के किसानों को एक साथ पानी मिलना चाहिए।
वैसे लोगों में यह आशा भी है कि जब कैमूर के खेतों में पानी जाएगा तो अब वह दिन दूर नहीं जब रोहतास के किसानों के खेत में भी पानी आएगा।