नई दिल्ली, 28 सितंबर –सूचना उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के हर पुलिस जिले के लिए एक मीडिया केंद्र की व्यवस्था के तहत 11 नए मीडिया केंद्र शुरू करने के बाद भी भ्रम की स्थिति बरकरार है। प्रत्येक केंद्र में एक अधिकारी को जवाबदेही दी गई है, लेकिन इनमें से पांच को ही अपने कामकाज के बारे में जानकारी है।
तीन अधिकारियों ने कहा कि उन्हें गलती से नामित कर दिया गया है, दो ने कहा कि उन्हें अपनी नई जवाबदेही का भान नहीं है जबकि एक ने बात करने से ही मना कर दिया।
पुलिस आयुक्त बी. एस. बस्सी ने 19 सितंबर को संवाददाताओं से एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान इन केंद्रों को खोले जाने के बारे में बताया था।
इसके बाद एक अधिकृत बयान में 11 पुलिस अधिकारियों को नामित किया गया जिन्हें इन केंद्रों के प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें अधिकारियों के कामकाज का ब्योरा भी दिया गया था। मीडिया केंद्र के 22 सितंबर से औपचारिक रूप से काम शुरू करने के बावजूद अभी तक उनमें काम जैसे-तैसे चल रहा है।
सभी 11 अधिकारियों से आईएएनएस ने संपर्क किया जहां केवल पांच ही सजग और सूचनाओं से लैस मिले। इनमें से एक ने खुले दिल से स्वीकार किया कि मीडिया के बार-बार के कॉल के कारण ही उन्हें अपनी नई जिम्मेदारी के बारे में अहसास हो पाया।
जब आईएएनएस ने हेड कांस्टेबल नीरज शर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने नई जिम्मेदारी का निर्वाह करने से इनकार किया। शर्मा उत्तर पूर्वी जिले के मीडिया समन्वयक बनाए गए हैं।
शर्मा ने कहा, “मैं इस पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति नहीं हूं। मेरा नाम और नंबर संभवत: गलती से दे दिया गया है। मुझे मीडिया को सूचना देने के लिए नहीं कहा गया है।”
दक्षिणी दिल्ली के मीडिया समन्वयक कमल ने भी नई व्यवस्था के बारे में जानकारी होने से इंकार किया। इसी तरह पश्चिमी दिल्ली के मीडिया समन्वयक अजय शर्मा ने बात करने से ही इंकार कर दिया।
इस बारे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से बात करने पर उन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि मीडिया सेल सही तरीके से कार्य नहीं कर रहा है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने कहा कि अगर किसी को किसी घटना के बारे में जानकारी चाहिए तो वे संबंधित जिले के डीसीपी से अथवा आधिकारिक प्रवक्ता से बात करें।
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ऐसी बात है तो फिर मीडिया केंद्र स्थापित करने की जरूरत ही क्या थी।