आगरा, 26 सितंबर –| पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण पड़ने वाले दबाव से विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। इतिहासकार आर.नाथ ने चेतावनी दी है कि अगर पर्यटकों की भीड़ का सही तरीके से प्रबंधन और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) का पुनर्गठन नहीं किया गया, तो इस खूबसूरत निशानी के भविष्य पर प्रश्नचिह्न् लग सकता है।
उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्रीपद नाइक को एक पत्र लिखकर जल्द से जल्द एएसआई का पुनर्गठन करने की मांग की है।
ज्ञापन का विवरण देते हुए नाथ ने टेलीफोन पर आईएएनएस से कहा, “ताजमहल में बढ़ती भीड़ से इसके अस्तित्व पर पैदा हुए खतरे की ओर मैंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ताजमहल धीरे-धीरे नदी में डूबने की ओर अग्रसर है। इसके मद्देनजर जल्द से जल्द कोई प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी इसकी भव्यता का लुत्फ उठा सके।”
नाथ ने कहा, “हर वर्ष लगभग 60 लाख पर्यटक टिकट खरीदकर इसे देखने पहुंचते हैं। इनमें वैसे पर्यटकों की संख्या शामिल नहीं है, जिनकी उम्र 15 वर्ष से कम है या जो बिना टिकट आते हैं या शुक्रवार को मुफ्त प्रवेश के दौरान आते हैं। अगर सबकी संख्या जोड़ दी जाए, तो यह संख्या करीब एक करोड़ के आसपास चली जाती है।”
उन्होंने कहा कि ताज का दीदार करने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या की समस्या 20वीं सदी के पहले दशक के दौरान नहीं थी, क्योंकि तब ब्रिटिश सरकार ने प्राचीन स्मारक संरक्षक अधिनियम, 1904 लागू कर रखा था।
नाथ ने कहा, “पर्यटकों की बढ़ती भीड़ का दवाब नदी किनारे स्थित यह स्मारक बेहद बुरे तरीके से झेल रहा है। इस दबाव को ताज अनंत काल तक नहीं झेल सकता।”
राजस्थान विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष नाथ ने कहा, “एसएसआई में केवल तकनीकी विशेषज्ञ हैं, जो संरक्षण में विशेषज्ञता प्राप्त हैं। वे पर्यटकों की भीड़ के प्रबंधन का काम नहीं कर सकते।”
एसएसआई को विभाजित करने का समय अब आ चुका है।
ताजमहल की प्रशासनिक तौर पर देखभाल के लिए ‘ताज निगम’ का गठन किया जाना चाहिए। इस निगम के प्रमुख एक निदेशक या एक मुख्य प्रशासनिक अधिकारी हो सकते हैं, जिनके अंतर्गत मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में कर्नल या उससे ऊपर के रैंक का कोई सेनाधिकारी, चार हजार प्रशिक्षित पुलिस बल सहित कई अधिकारी होंगे, जो काम में उनकी सहायता करेंगे।
नाथ ने चेतावनी दी है कि अगर बदलाव जल्द न किया गया, तो हमारे अहंकार, सुस्ती तथा अक्षमता के लिए ताजमहल को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।