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 क्वेटो नहीं रजा ये बनारस है – पौराणिक,सांस्कृतिक धरोहर मिटाने का विरोध..रहवासी हुए लामबंद | dharmpath.com

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क्वेटो नहीं रजा ये बनारस है – पौराणिक,सांस्कृतिक धरोहर मिटाने का विरोध..रहवासी हुए लामबंद

February 18, 2018 12:28 pm by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on क्वेटो नहीं रजा ये बनारस है – पौराणिक,सांस्कृतिक धरोहर मिटाने का विरोध..रहवासी हुए लामबंद A+ / A-

kmordadewj-1518234463वाराणसी(धर्मपथ)– महादेव की नगरी वाराणसी ,भारत की आत्मा वाराणसी,सदियों पुराना शहर वाराणसी इसे क्वेटो बनाने का सपना बिना इसे छेड़े पूरा नहीं हो सकता क्या और क्या क्वेटो का महत्त्व वाराणसी से अधिक है बिलकुल नहीं क्वेटो से उसकी सफाई,सुव्यवस्था ली जा सकती है लेकिन वाराणसी के पुराने अस्तित्व को मिटा कर नहीं उसे बरकरार रखते हुए ये विचार मात्र वाराणसी के रहवासियों के नहीं अपितु प्रत्येक भारतीय नागरिक के हैं.वाराणसी के बुद्धिजीवी और रहवासी खुल कर इसके विरोध में आ गए हैं एवं अपना विरोध अब गलियों में ले आये हैं .इनमें निवासी वल्लभ पाण्डेय,पदमपति मिश्र ,धीरज यादव ,प्रतिभा सिंह ,धीरेन्द्र यादव जैसे कई बनारसी शामिल हैं.

क्या है परियोजना?

काशी विश्वनाथ मंदिर से सरस्वती पाठक ,लाहोरी टोला ,नीलकंठ से मणिकर्णिका तक एक पथ बनाने की योजना है जिसकी लागत लगभग 450 करोड़ रुपये है .प्रशासन का कहना है की इस योजना में सिर्फ अतिक्रमण हटाये जायेंगे बाकी निर्माण से छेड़-छाड़ नहीं होगी किन्तु वाराणसी की संरचना देखते हुए यह असंभव है.सूत्रों ने बताया की यह पहली योजना है और प्रशासन की सोच है इसके शुरू होने के बाद बाकी वाराणसी को तोड़ उसका विकास या स्वरूप बदलना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि आधुनिकीकरण करने या क्वेटो बनाने के लिए बनारस के इंसानों को ,पौराणिक संरचनाओं को कुचलना होगा.

लगभग आधा किलोमीटर की इस परियोजना में सैकड़ों वर्ष पुराने भवन,मंदिर,65 विनायकों में से कई विनायक,दुकाने नेस्तनाबूत होंगे.इसके पूर्व भी ज्ञानवापी क्षेत्र में कई दुकाने ध्वस्त की गयीं इसका विरोध रह वासिओं ने महाशिवरात्रि पर्व पर काले झंडे लगा कर किया .

वाराणसी महायोजना में भी यह पथ प्रस्तावित नहीं है ,अतिविशिष्ट व्यक्तियों की सुविधा के लिया इसे प्रस्तावित किया.

28168695_1798111776890252_2009466928143279293_nप्रधानमन्त्री बनने के बाद मोदी का लगातार बनारस आना और उनके साथ कई वीवीआईपी का आना बना हुआ है .इनकी सुरक्षा और सहूलियत के लिए इस कारीडोर के निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार हुई.यह क्षेत्र महायोजना में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में चिन्हित है जिसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है .यह क्षेत्र डूब में है जिसके चलते नवीन निर्माण भी यहाँ नहीं हो सकता .इस मामले को विधान परिषद् सदस्य व् सपा नेता शतरुद्र प्रकाश विधानपरिषद में भी उठा चुके हैं.

इसके विरोध में वाराणसी के नागरिक गोष्ठिओं,धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने लगे हैं.

अनिल कुमार सिंह (9039130023 व्हाट्स एप )

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