नई दिल्ली, 18 सितम्बर – ओलंपिक में दो बार पदक जीतने वाले सुशील कुमार के 17वें एशियाई खेलों में गैरहाजिरी के बाद सारी नजरें लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतने वाले योगेश्वर दत्त पर टिकी हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने 28 साल से एशियाई खेलों की कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल नहीं किया है। एशियाई खेल दक्षिण कोरियाई शहर इंचियोन में शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। गौरतलब है कि सुशील कुमार ने लगातार दूसरी बार एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाले सुशील रियो ओलंपिक-2016 पर ध्यान देना चाहते हैं। सुशील हालांकि अभी कंधे की चोट से भी ग्रस्त हैं।
ऐसे में सुशील के बचपन के दोस्त योगेश्वर से पदक की उम्मीदे होंगे। राष्ट्रमंडल खेलों में योग्श्वर ने भी स्वर्ण पदक हासिल किया था।
एशियाई खेलों की कुश्ती स्पर्धा में भारत ने आखिरी बार स्वर्ण पदक सियोल एशियाई खेलों (1986) में जीता था। करतार सिंह ने तब 65 किलो वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण हासिल किया था।
योगेश्वर ने ग्वांनझू एशियाई खेल- 2010 में हिस्सा नहीं लिया था। दोहा में 2006 में हुए एशियाई खेलों में हालांकि योगेश्वर कांस्य पदक जीत चुके हैं।
भारत की कुश्ती दल में 18 प्रतियोगी हैं। इनमें से सात फ्रीस्टाइल वर्ग, सात ग्रेको-रोमन और चार महिलाएं हैं। ग्रेको- रोमन वर्ग भारत का मजबूत पक्ष रहा है। ऐसे में इस वर्ग से भारत को काफी उम्मीदें हैं।
पांच बार के राष्ट्रमंडल चैम्पियन और एशियाई खेलों में कांस्य जीत चुके रविंद्र सिंह, एशियाई चैम्पियन कृष्णन कुमार यादव, विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीत चुके संदीप यादव, एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य जीतने वाले मनोज कुमार और अर्जुन पुरस्कार विजेता धर्मेद्र दालाल से भी भारत को उम्मीदें हैं।
ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में सफलता हासिल करने के बाद इंचियोन गए अमित कुमार से भी 57 किलोवर्ग में पदक की उम्मीद की जा सकती है। विश्व के पांचवें नंबर के नरसिंह यादव 74 किलोवर्ग में सुशील कुमार की जगह चुनौती पेश करेंगे।
बजरंग पुनिया (61 किलोग्राम), पवन कुमार (86 किलोग्राम) और सत्यव्रत कादिया (97 किलोग्राम) फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण जीत सकते हैं। तीनों ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते थे।
महिला वर्ग में विनेश फोघट (48 किलोग्राम), बबिता कुमारी (55 किलोग्राम), गीतिका जाखर (63 किलोग्राम) और ज्योति (75 किलोग्राम) से भी ऐसी ही उम्मीदें हैं।