नई दिल्ली, 5 सितंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि राजनीति को पेशे की तरह नहीं, बल्कि सेवा की तरह लिया जाना चाहिए। शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूली छात्रों से बातचीत के दौरान शुक्रवार को मोदी ने छात्रों के कई सवालों के जवाब दिए। एक छात्र ने पूछा कि वे अपने दबाव को किस तरह कम करते हैं। इसके जवाब में मोदी ने कहा कि किसी व्यक्ति में सेवा की भावना लोगों के साथ जुड़ाव पैदा करती है।
मोदी ने कहा, “यदि लगाव नहीं हो तो सेवा की भावना नहीं होगी।”
उन्होंने पांच वर्ष की एक बच्ची का उदाहरण दिया जो अपने दो वर्ष के भाई को लेकर पहाड़ी पर चढ़ रही थी, लेकिन खुद को थका नहीं महसूस कर रही थी क्योंकि उसमें भाई के प्रति कर्तव्य का बोध था।
उन्होंने कहा, “राजनीति को सेवा की तरह देखा जाना चाहिए क्योंकि इसका जुड़ाव लोगों के साथ होता है। पद आते-जाते रहते हैं। यह लोकतांत्रिक प्रणाली का हिस्सा है।”
मोदी ने कहा कि यदि सेवा की भावना हो तो किसी को भी दबाव या थकान का अनुभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि जब वे देश की 1.25 करोड़ आबादी के लिए काम करते हैं तो उन्हें यही बोध होता है।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “जब मैं आप जैसे बच्चों से बात करता हूं तो मेरा दबाव खत्म हो जाता है।”