जालौन (उप्र), 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही सूखे का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों के प्रति हमदर्दी जता रही हो, मगर उनके मंत्री ही किसानों की फसल रौंद रहे हैं। एक ऐसा ही वाकया जालौन जिले के उरई संभाग में देखने को मिला, जहां जिले के प्रभारी मंत्री जयकुमार सिंह जैकी के काफिले ने एक दलित किसान की तीन बीघे सरसों की फसल रौंद डाली।
जालौन (उप्र), 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही सूखे का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों के प्रति हमदर्दी जता रही हो, मगर उनके मंत्री ही किसानों की फसल रौंद रहे हैं। एक ऐसा ही वाकया जालौन जिले के उरई संभाग में देखने को मिला, जहां जिले के प्रभारी मंत्री जयकुमार सिंह जैकी के काफिले ने एक दलित किसान की तीन बीघे सरसों की फसल रौंद डाली।
मंत्री के पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाने पर भाजपा नेताओं ने उसे सिर्फ चार हजार रुपये बतौर मुआवजा थमा दिए।
मामला उरई शहर के बघौरा बाईपास का है। यहां नगर पालिका प्रशासन ने बुधवार को गौशाला निर्माण कराए जाने के लिए भूमि पूजन में जिले के प्रभारी मंत्री/कारागार राज्यमंत्री जयकुमार सिंह जैकी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था, इसी भूखंड के बगल में दलित किसान देवेंद्र दोहरे का तीन बीघे खेत है, जिसमें उसने कर्ज लेकर सरसों की फसल बोई थी।
मंच तक पहुंचने की हड़बड़ाहट में मंत्री और उनके काफिले में शामिल तीन दजर्न गाड़ियों ने दलित किसान की पूरी फसल रौंद दी और वहीं गाड़ियों की पार्किं ग करा दी गई। जब किसान को पता चला, तो वह मंच पर पहुंचकर मंत्री के पैरों पर गिर गिड़गिड़ाने लगा, लेकिन मंत्री जी नहीं पसीजे।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद नष्ट फसल की मीडियाकर्मी जब फोटो लेने लगे, तब भाजपा नेताओं ने चंदा करके पीड़ित किसान को महज चार हजार रुपये बतौर मुआवजा थमाकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की।
पीड़ित किसान देवेंद्र दोहरे ने शुक्रवार को बताया कि उसने कर्ज लेकर अपने तीन बीघे खेत में सरसों की फसल बोई थी और हाल ही में पांच हजार रुपये का पानी खरीद कर सिंचाई की थी, जिसे मंत्री के काफिले ने रौंद कर बर्बाद कर दिया है।
उसने बताया कि उसके पास केवल तीन बीघे ही कृषि भूमि है, जिस पर उसे तीस से चालीस हजार रुपये की फसल पैदा होने की उम्मीद थी। उसने कहा, “मैं मंत्री जी के पैरों पर गिरा, मगर मंत्री जी कुछ नहीं बोले। बाद में स्थानीय भाजपा नेताओं ने चंदा कर मुझे सिर्फ चार हजार रुपये देकर शांत रहने को कहा।”
सबसे बड़ा सवाल यह है कि बुंदेलखंड के किसान पिछले कई सालों से सूखे का दंश झेल रहे हैं। एक तरफ सरकार किसानों को कर्जमाफी प्रमाणपत्र वितरित कर उन्हें उबारना चाह रही है, वहीं दूसरी तरफ उसके मंत्री फसल रौंद रहे हैं। ऐसे में किसानों के बीच सरकार की ‘नीति’ और ‘नीयत’ पर संदेह पैदा होना लाजिमी है।