नई दिल्ली/कोहिमा, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। नागालैंड में आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा म्यांमार स्थित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (एनएससीएन-के) के ‘जनरल’ निकी सुमी की पत्नी शेली सुमी और अन्यों के खिलाफ समन जारी किये जाने की संभावना है। एक अधिकारी ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को नागालैंड के मुख्य वाणिज्यिक शहर दीमापुर में नहरबाड़ी बस्ती से शेली, ईखेली येपथो, शुतोली और होझेली के घरों से 27 लाख 90 हजार रुपये जब्त किए थे।
इनके घरों से 12 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप, एक हार्ड डिस्क और 33 दस्तावेजों को भी जब्त किया गया है।
यह छापे इन लोगों खिलाफ जबरन वसूली कर उस पैसे को म्यांमार में एनएससीएन-के की गतिविधियों को वित्त पोषण में लगाने के मामले में चल रही जांच के संदर्भ में मारे गए। यह संगठन अभी भी भारतीय राज्य के साथ युद्ध की स्थिति में है।
एनएससीएन-के के सैन्य संचालन के प्रमुख निकी सुमी को 4 जून 2015 के एक हमले के मामले में एनएससीएन-के के स्टारसन लमकांग और ‘मेजर जनरल’ नेमलंग के साथ मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया था। इस हमले में 18 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी।
एनआईए के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “अभी तक, हमने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। शेली और उनके सहयोगियों को समन जारी किया जाएगा।”
विभिन्न खुफिया एजेंसियां नागालैंड और मणिपुर में शेली और उनके सहयोगियों की गतिविधियों पर करीब से नजर रखे हुए हैं।
उन्होंने कहा, “सरकार पैसे के स्रोत को जानना चाहती है..कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”
एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि जब्त पैसा सार्वजनिक या सरकारी कर्मचारियों से वसूली का हो सकता है। इस पैसे का इस्तेमाल म्यांमार में एनएससीएन-के कैंपों को ‘भारत की सार्वभौमिकता और अखंडता को नुकसान’ पहुंचाने संबंधी गतिविधियों के लिए होना था।
शेली और उसके सहयोगियों को अप्रैल में 18.47 लाख रुपये के साथ मणिपुर के सेनापति जिले के करोंग में असम राइफल्स द्वारा गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना था कि पैसा एनएससीएन-के कोष के लिए म्यांमार में भेजा जाना था।
लेकिन, अदालत ने राशि को जब्त कर शेली और अन्य लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया था। बाद में एजेंसी ने गृह मंत्रालय के आदेश पर उनके और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दायर किया था।
एनएससीएन-के ने मार्च 2015 में भारत सरकार के साथ 2001 में हुए संघर्ष विराम को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद, खापलांग आतंकियों ने नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।