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 शहीद कुँवर चैनसिंह जी की समाधि पर दी गयी सशस्त्र सलामी | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

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शहीद कुँवर चैनसिंह जी की समाधि पर दी गयी सशस्त्र सलामी

अनिल सिंह(भोपाल)-        

     शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले,वतन पर मरने

                    वालों का यही बाकी निशां होगा.

10485333_711525195580298_5004738477436727419_nकितना सटीक है यह जब हम अपने समक्ष इन दिनों को देख रहे हैं,आज सीहोर में सन् १८२४ में अंग्रेजों की गुलामी ना स्वीकार करते हुए नरसिंहगढ़ रियासत के कुँवर चैन सिंह जी अपने साथियों हिम्मत खान और बहादुर खान सहित अन्य वीर योद्धाओं के साथ वीरगति को प्राप्त हुए.

कु. चैन सिंह, खुमान सिंह जी (दीवान)10409688_711566312242853_1284250313488100903_n
हिम्मत खाँ ,रतन सिंह (राव जी)
बहादुर खाँ ,गोपाल सिंह (राव जी)
पठार उजीर खाँ ,बख्तावर सिंह
गुसाई चिमनगिरि ,जमादार पैडियो
शिवनाथ सिंह, राजावत मोहन सिंह राठौड़
रूगनाथ सिंह, राजावत तरवर सिंह
प्रताप सिंह गौड़ ,बाबा सुखराम दास
बदन सिंह नायक लालो
लक्ष्मण सिंह ,बखतो नाई
ईश्वर सिंह ,अखे सिंहचंद्रावत
मौकम सिंह सगतावत, फौजदार खलील खाँ
हमीर सिंह ,जमादार सुभान
श्याम सिंह ,बैरो रूस्तम
बखतावर सिंह सगतावत (नापनेरा) ,चोपदार देवो
उमेद सिंह सोलंकी, मायाराम बनिया
प्यार सिंह सोलंकी ,केशरी सिंह
कौक सिंह ,मोती सिंह
गज सिंह सींदल दईया, गुमान सिंह

(इनके सहित 150-200 के लगभग शहीद हुए थे)
गागोर राघौगढ़ राजा धारू जी खीची के उत्तराधिकारी गोपाल सिंह एवं जालम सिंह सहित 40 के लगभग घायल हुए थे ।

भारत जोड़ो आंदोलन के बलबीर सिंह तोमर ने दिलायी पहचान

श्री बलबीर जी इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं इन्होने जब इस विषय को संज्ञान में लिया ताब कसम खायी की इतिहास में दबी इस घटना को आज की पीढी के सामने लायेंगे और इन्होने संस्था भारत जोड़ो आंदोलन के जरिये शहीद कुँवर चैन सिंह जी की वीर गाथा को सामने लाने के लिये बिगुल फूंक दिया और आज वह अंजाम पर हैं.

जिसे देख-रेख का जिम्मा सौंपा,उसने ही कब्जा किया,प्रशासन ने कब्जा हटाया

विसंगति रही की नरसिंहगढ़ रियासत ने जमीन जो समाधि की देख-रेख करने वाले को जीविका हेतु दी थी उसने ही धोखा करते हुए वाह जमीन अपने नाम करवा ली,लेकिन बात सामने आने के बाद प्रशासन ने उस जमीन को मुक्त कराया और उस पर अतिक्रमण को नेस्तानबूत कर दिया.

सन् १८२४ में शहीद हुए कुँवर जी को २०१३ में प्रथमतः सम्मान दिया गया

बलबीर सिंह तोमर के अथक प्रयासों का नतीजा रहा की प्रशासन को सन् २०१३ में शहीदों को उचित सम्मान देना शुरू किया.अब यह सम्मान आज के दिन दिया गया और प्रत्येक वर्ष दिया जाता रहेगा.शहीदों की याद में मप्र सरकार प्रत्येक वर्ष मेले आयोजित करेगी। इसके पूर्व शहीदी स्थल को विकसित किया जाएगा। यह कहना है प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मंत्री कुंवर विजय शाह का। वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व नरसिंह रियासत के युवराज कुंवर चेन सिंह के शहादत दिवस पर सिहोर स्थिति छतरी में आयोजित समारोह में शामिल हुए थे। कलेक्टर कवींद्र कियावत व एसपी आरएस सिकरवार की उपस्थिति में हुए इस समारोह में जिला पुलिस बल के जवानों ने शहीदों के सम्मान में गार्ड आॅफ आॅनर भी दिया।

कुँवर चैन सिंह जी की समाधि पर चढ़ाया गया साफा

10514746_711525905580227_2974431140526688569_nप्रशासन की तरफ से भूतपूर्व सैनिक वी एस सिसोदिया और मप्र शासन के मंत्री विजय शाह ने शहीद की समाधि पर साफा अर्पित कर सम्मान प्रस्तुत किया. सलामी देने के बाद मंत्री कुंवर विजय शाह छतरी पहुंचे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुंवर चैन सिंह की वीरभूमि पर बतौर सम्मान साफा रखा। साथ ही सम्मान के लिए राष्टÑ व जन्मभूमि की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले इस महान योद्धा को याद करते हुए पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। यहां अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक महत्व के अनुरुप इस स्थान को विकसित करने की योजना बनाई जाए। जिससे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के भी 33 वर्ष पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने वाले महान योद्धा कुंवर चैन सिंह की याद को अक्ष्युण बनाया जा सके। समारोह में नेशलन लॉ इंस्टीट्यूट के कुलपति डॉ. एसएस सिंह के साथ ही भारत जोड़ो आंदोलन के बलवीर सिंह तोमर भी मौजूद थे। इसके बाद उपस्थित जनसमुदाय ने अंग्रेजों के साथ हुई लड़ाई में शहीद होने वाले कुंवर चैन सिंह के सहयोगियों हिम्मत खां और बहादुर खां की मजार पर भी पुष्प अर्पित किए।

 

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