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पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और ब्राजील के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर

indeximagesवैश्विक पर्यावरण के प्रति दोनों देशों की गहरी चिंता तथा वर्तमान और भावी पीढि़यों के कल्याण के लिये इसके संरक्षण के दोनों देशों के साझा हित को ध्यान में रखते हुए,

ब्राजील और भारत में निरंतर विकास के लिये पर्यावरण संरक्षण और उसमें सुधार लाने हेतु प्रभावशाली उपायों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए,

निरंतर विकास को बढ़ावा देने के लिये विकासशील देशों के बीच सहयोग के महत्व को याद करते हुए,

रियो डि जनेरियो में 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, जोहान्सबर्ग में 2002 में निरंतर विकास पर संयुक्त राष्ट्र विश्व शिखर सम्मेलन तथा रियो डि जनेरियो में जून 2012 में निरंतर विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (रियो 20) में स्वीकृत सिद्धांतों और दस्तावेजों पर गौर करते हुए, और

पर्यावरण संरक्षण और उसमें सुधार के क्षेत्र में दोनों देशों के करीबी और दीर्घकालिक सहयोग की स्थापना और उसे बढ़ावा देने की इच्छा के मद्देनजर

निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमति बनी हैः

अनुच्छेद -1

दोनों पक्ष पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में बराबरी, पारस्परिक आदान-प्रदान और आपसी लाभ के आधार पर सहयोग करेंगे

अनुच्छेद -2

दोनों पक्ष अन्य बातों के अलावा, प्राथमिकता वाले निम्नलिखित क्षेत्रों में परस्पर सहयोग बढ़ाएंगेः-

ए) जलवायु परिवर्तन

बी) जैव विविधता, अनुवांछिक संसाधनों तक पहुंच संबंधी नागोया संधि तथा उनके उपयोग से होने वाले लाभ के निष्पक्ष और समान बंटवारे पर गौर करते हुए

सी) सूखे इलाकों में वनरोपण,

डी) जल संरक्षण और दलदली भूमि की रक्षा,

ई) कृषि संबंधी कचरे और इलैक्ट्राॅनिक कचरे सहित कचरा प्रबंधन,

एफ) बर्बाद होने वाले पानी का प्रबंधन तथा बह जाने वाले संसाधित पानी का दोबारा इस्तेमाल,

जी) जैव-ईंधन का इस्तेमाल

एच) चिकित्सकीय पौधों के उत्पादों का इस्तेमाल

आई) वायु और जल गुणवत्ता प्रबंधन और

जे) पर्यावरण सूचना प्रणालियां

2.दोनों पक्ष, पर्यावरण की रक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय संधियों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप उपरोक्त वर्णित सहकारी गतिविधियों का संचालन करेंगे

अनुच्छेद -3

इस सहमति पत्र के तहत दोनों पक्षों के बीच सहयोग निम्नलिखित रूप में कायम किया जा सकता हैः

ए) सूचना और दस्तावेजों के आदान-प्रदान में,

बी) विशेषज्ञों, विद्वानों और शिष्टमंडलों की एक-दूसरे के यहां यात्रा में,

सी) विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, निजी कम्पनियों तथा अन्य सम्बद्ध एजेंसियों को शामिल करते हुए संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और बैठकों का मिल-जुलकर आयोजन करने में,

डी) सामूहिक परियोजनाओं में

ई) परस्पर सहमति वाला अन्य प्रकार के सहयोग में.

अनुच्छेद -4

1 दोनों देशों में लागू राष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अनुसार, दोनों पक्ष इस सहमति पत्र के कार्यान्वयन के दौरान बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की रक्षा के लिये उचित उपाय करेंगेः

2 इस सहमति पत्र के तहत प्राप्त होने वाले सम्भावित उत्पादों / प्रक्रियाओं के संबंध में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अधिग्रहण, अनुरक्षण और वाणिज्यिक दोहन की शर्ते विशिष्ट कार्यक्रमों, अनुबंधों अथवा कार्ययोजनाओं में परिभाषित की जाएंगी, जो उस सूचना की गोपनीयता संबंधी शर्तों का भी निर्धारण करेंगी, जिनका प्रकाशन और / अथवा प्रकटन इस सहमति पत्र के तहत प्राप्त किये गये बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अधिग्रहण, अनुरक्षण और वाणिज्यिक दोहन को सम्भवतः जोखिम में डाल सकता है.

अनुच्छेद -5

दोनों पक्ष 1, सहमति पत्र के लक्ष्यों से आगे बढ़ते हुए, एक-दूसरे के बीच और दोनों देशों के सार्वजनिक और निजी संस्थानों एवं संगठनों के बीच सीधे सम्पर्क और सहयोग की स्थापना तथा विकास को प्रोत्साहन और सहायता देंगे.

2 दोनों पक्ष, अनुबंधों और मिलकर कार्य करने संबंधी औपचारिक समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ, सहयोग में दिलचस्पी लेने वाली दोनों देशों की सरकारी एजेंसियों, शैक्षिक संस्थानों और निजी आर्थिक उद्यमों के बीच सम्पर्कों को प्रोत्साहन देंगे.

अनुच्छेद -6

बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के तहत संरक्षित नहीं होने वाली वैज्ञानिक और तकनीकी सूचना, जो सम्भवतः वर्तमान सहमति पत्र के तहत सहयोग के परिणामस्वरूप प्राप्त की गई हो, उस सूचना के अलावा, जो सम्भवतः राष्ट्रीय सुरक्षा या वाणिज्यिक या औद्योगिक चिंताओं के मद्देनजर प्रकट नहीं की गई हो , उसे दोनों पक्षों की सहमति होने की स्थिति में सामान्य माध्यमों के जरिये तथा भागीदार संस्थाओं और संगठनों की सामान्य प्रक्रियाओं के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय और संस्थानों को उपलब्ध कराया जा सकता है. उसका तीसरे पक्ष के साथ आदान-प्रदान और प्रसार करने के लिये, दोनों पक्ष, वर्तमान कानूनी प्रावधानों, तीसरे पक्षों के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का ध्यान रखेंगे.

अनुच्छेद -7

1.इस सहमति पत्र के समन्वयन और कार्यान्वयन के लिये पर्यावरण पर भारत-ब्राजील संयुक्त कार्य समूह का गठन किया जाएगा. (इसके आगे से, उसका उल्लेख ‘कार्य समूह’ के रूप में किया जाएगा.

2.दोनों पक्षों की सहमति से यह कार्यसमूह, नियमित अंतराल पर, बारी-बारी से ब्राजील और भारत में बैठक करेगा. वह सहयोग की ठोस गतिविधियों और कार्यक्रमों का आकलन करेगा, इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी भागीदार संगठनों से तालमेल बैठाएगा तथा स्वीकृत प्रक्रिया के माध्यम से दोनों पक्षों को सिफारिश भेजेगा. कार्यसमूह की संरचना, बैठक स्थल और अपनायी जाने वाली प्रक्रिया दोनों पक्ष मिलकर तय करेंगे, इन्हें भेजने वाला पक्ष ऐसी यात्राओं का खर्च उठाएगा.

3.भारत का पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा ब्राजील का पर्यावरण मंत्रालय, वर्तमान सहमति पत्र के तहत समन्वयन और सहयोग के लिये उत्तरदायी नोडल एजेंसी होंगे.

4.सहमति पत्र के तहत गतिविधियां, पांच वर्षों के लिये तैयार की गई कार्ययोजना के आधार पर, सहयोग के कार्यक्रमों के अनुसार संचालित की जाएंगी.

अनुच्छेद -8

इस सहमति पत्र को उन अधिकारों और दायित्वों के प्रतिकूल न समझा जाए, जो उनमें प्रत्येक पक्ष द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के अधीन पहले से लागू किये गये अन्य समझौतों का परिणाम हैं.

अनुच्छेद -9

इस सहमति पत्र की व्याख्या या उसे लागू करने के दौरान उठने वाले विवाद, जिनका निपटारा समन्वय और सहयोग के लिये उत्तरदायी एजेंसियों के माध्यम से नहीं हो सकेगा, उन्हें पक्षों के बीच बातचीत और विचार विमर्श के जरिये सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाया जाएगा.

अनुच्छेद -10

1.मौजूदा सहमति पत्र, हस्ताक्षर की तारीख से लेकर, तब तक लागू रहेगा, जब तक कोई एक भी पक्ष, राजनयिक माध्यम के जरिये, दूसरे पक्ष को इसे रद्द करने की अपनी मंशा के बारे में लिखित नोटिस देते हुए इसे खारिज न कर दे . ऐसी स्थिति में, इस प्रकार की अधिसूचना की तारीख से लेकर छह महीने में सहमति पत्र को रद्द कर दिया जाएगा.

2 इस सहमति पत्र के रद्द होने का प्रभाव, इसके आधार पर किये गये समझौतों और अनुबंधों के अधीन होने वाली गतिविधियों की पूर्णता पर नहीं पड़ेगा, जो सम्भवतः इसके रद्द होने की तारीख तक पूरी न हो पायें.

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