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 विश्व में कम होते वन-और बढ़ते मच्छर | dharmpath.com

Thursday , 28 November 2024

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विश्व में कम होते वन-और बढ़ते मच्छर

5118528110_8274db391b_oघटते जंगलों के कारण ग्लोबल वार्मिग में तेजी से वृद्धि हो रही है। तापमान के इस असंतुलन के चलते मच्छरों की प्रजातियां भी तेजी से बढ़ रही हैं।

यह खबर जागरण से मिली है। पंजाब के 12 जिलों को मच्छरों ने अपनी शरणगाह बना लिया है। इसका एक कारण राज्य में धान की बुआई का क्षेत्रफल बढ़ना भी है। मच्छर बढ़ने से भविष्य में मलेरिया, डेंगू, जापानी बुखार और चिकनगुनिया होने की भी आशंका बढ़ गई है। यह तथ्य पंजाबी यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. जगबीर सिंह की रिसर्च में सामने आए हैं।

विश्वभर में इतने लोग युद्ध में नहीं मरे हैं, जितने मच्छर के कारण मौत का शिकार हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार हर तीन सेकेंड में मच्छर के कारण एक आदमी की मौत हो रही है। विश्व में मच्छरों की चार हजार के करीब प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से भारत में 403 प्रजातियों को खोजा जा चुका है। हर साल बरसात कम होने से तापमान में बदलाव आ रहा है। इसी वजह से मच्छर बढ़ रहे हैं। मच्छरों ने भी अपने रहन-सहन में परिवर्तन कर लिया है। अब राज्य में सर्दियों में भी मच्छर मिल जाते हैं।

पंजाब में 1960 में मात्र दो से तीन फीसद क्षेत्र में धान की बुआई होती थी, लेकिन आज धान की बुआई 38 फीसद क्षेत्र में हो रही है। बुआई के दौरान खेतों में पानी खड़ा रहने के कारण मच्छरों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की जा रही है।

पंजाब के 12 जिलों में मच्छरों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इससे उनके कारण होने वाले रोगों में भी वृद्धि संभव है। राज्य में हालांकि 700-800 मरीजों के मलेरिया से प्रभावित होने के कारण इस रोग को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी बुखार की स्थिति पहले से अधिक नाजुक हुई है। राज्य में इस साल डेंगू के कुल 400 से अधिक मामले सामने आए।

पंजाबी यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. जगबीर सिंह कहते हैं कि अधिक से अधिक पौधरोपण करने और जनमानस में जागरूकता बढ़ाना जरूरी हो गया है।
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