भारतीय वायुसेना के मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर-3 और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस इस समय दिल्ली के निकट स्थित हिंदोन हवाई अड्डे पर हैं और विशेष कार्रवाई शुरू करने के लिये तैयार हैं। लेकिन इस का आदेश अभी नहीं मिला है।
सरकार के एक प्रतिनिधि ने भारतीय न्यूज़ एजेंसी टीएनएन को बताया कि वर्तमान समय में सेना के कमांडो दस्तों या राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड द्वारा बंधकों को मुक्त करने हेतु अभियान चलाने की योजना नहीं है। क्योंकि इराक की हालत लगातार बदल रही है और वहाँ से काफी खुफिया सूचनाएँ नहीं मिलती हैं। लेकिन हमारे नागरिक वास्तव में वहाँ से सेना के मालवाहक विमानों द्वारा ले जाये जा सकते हैं।
इराक में लगभग 10 हज़ार भारतीय नागरिक काम कर रहे हैं। उन में से सौ से अधिक लोग फौजी कार्रवाइयों के क्षेत्र में फंसे हुए हैं। बुधवार को निर्माण कंपनी तारिक नूर अल हुदा में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिक लड़ाकों द्वारा अपहृत किये गये। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने इस तथ्य की पुष्टि करके कहा कि अभी तक अपहरण कर्ताओं ने भारत से कोई मांग नहीं की। लड़ाकों द्वारा कब्ज़े में लिये गये दूसरे नगर टिकरित में 46 भारतीय नर्स फंसी हुई हैं।
इराक में लड़ाइयों के क्षेत्र में फंसे भारतीय नागरिकों से जुड़ी स्थिति भारत की नयी सरकार के लिये एक सबसे गंभीर चुनौती है। इस समय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस के लिये यथा संभव कदम उठा रही है ताकि बंधकों को मुक्त किया जाये और इराक में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा यकीनी बनायी जाये।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने भारत सरकार के प्रवक्ता के हवाले से लिखा कि हमें गृह युद्ध की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दूसरे देशों के नागरिकों, साथ ही भारतीय नागरिकों के जीवन के लिये खतरा पैदा हुआ है। हम स्थिति के सकारात्मक विकास की आशा करते हैं और उन सभी लोगों के साथ संपर्कों की स्थापना कर रहे हैं जो हमको मदद दे सकते हैं।
स्थिति का समाधान करने के लिये इराक में भारत के पूर्व राजदूत सुरेश रेड्डी बगदाद पहुंचे। भारत के विदेश गुप्तचर एजेंसी (आरएडब्लू) के एविएशन रिसर्च सेंटर (एआरसी) के विशेषज्ञ भी इराक में बचाव कार्रवाई में भाग लेने को तैयार हैं। भारत की खुफिया सेवाओं को ऐसे काम का अनुभव प्राप्त है।
अगर भारतीय नागरिकों को बसरा या किसी दूसरे इराकी बंदरगाह से ले जाने की ज़रूरत पैदा होगी तो इस हालत में नौसेना को भी बचाव कार्य में शामिल किया जा सकता है। भारतीय नौसेना को बड़ी संख्या में लोगों को लड़ाई से ग्रस्त विदेशी क्षेत्रों से बाहर ले जाने का अनुभव प्राप्त है। सन् 2006 में भारतीय नौसैनिकों ने सुकून नाम का अभियान चलाया तथा भारत, श्री लंका और नेपाल के कुछ हज़ार नागरिकों को लेबनान से बाहर ले जाया था।
इराक की स्थिति जून के शुरू में तेज़ी से बिगड़ गयी जब इस्लामी राज्य इराक और लेवांत के लड़ाकों ने बड़े नगरों मोसुल और टिकरित पर कब्ज़ा करके बगदाद पर हमला करने के अपने इरादे की घोषणा की। लड़ाकों ने विदेशी नागरिकों को बंधक बनाना शुरू कर दिया। ताज़ा सूचनाओं के अनुसार बंधकों की संख्या में भारत, तुर्की, पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल और तुर्कमेनिस्तान के नागरिक शामिल हैं।