भोपाल :सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का अकादमिक वर्ष 2014-15 से शुरू हो रहा है। अकादमिक सत्र की शुरूआत छह सर्टिफिकेट कोर्स के साथ होगी। विश्वविद्यालय संचालन के लिये 353 पदों की स्वीकृति मिल गई है। यह जानकारी आज यहाँ विश्वविद्यालय की साधारण सभा की बैठक में दी गई।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय एक अनूठा विश्वविद्यालय है। इसमें पूरे विश्व से विद्यार्थी भारतीय ज्ञान और बौद्ध दर्शन के विभिन्न आयामों का अध्ययन करने आयेंगे। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला धर्म-धम्म सम्मेलन दो साल में एक बार होगा ताकि इसके भव्य आयोजन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तैयारियों के लिये पर्याप्त समय मिले। तीसरा सम्मेलन 2016 में होगा। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों, प्रक्रियाओं और नियुक्तियाँ पूरी पारदर्शिता के साथ करने के निर्देश दिये। उन्होंने विश्वविद्यालय के वित्तीय अधिकारों के संबंध में सैद्धांतिक सहमति दी।
उल्लेखनीय है कि रायसेन में सांची के पास 100 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई है। इस पर विश्वविद्यालय की परिकल्पना के अनुसार अकादमिक भवन बनाया जायेगा। फिलहाल रायसेन के ग्राम वारला में 25 एकड़ में बने प्राकृतिक चिकित्सालय परिसर को अकादमिक कार्यों के लिये उपयोग किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के सेवा भर्ती नियम, कुलपति पद के लिये सेवा शर्तें, वित्तीय नियमों को सैद्धांतिक सहमति दी। उन्होंने विश्वविद्यालय के पाँच स्कूल की स्थापना को सैद्धांतिक सहमति दी। यह स्कूल होंगे – बौद्ध दर्शन, सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन, धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन, भाषा, साहित्य एवं कला। प्रारंभिक रूप से तिब्बत, सिंहली, चीनी भाषाओं का अध्ययन शुरू किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में ध्यान केन्द्र खोलने के प्रस्ताव पर विचार करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने गेस्ट फेकल्टी, विजिटिंग फेकल्टी और तदर्थ नियुक्ति के संबंध में पारदर्शी प्रक्रियाएं अपनाने के निर्देश दिये। बैठक में विद्या परिषद में प्रो. उमा वैद्य कुलपति महाकवि कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक, प्रो. शुभदा जोशी दर्शन शास्त्र मुंबई विश्वविद्यालय, प्रो. प्रदीप गोखले केन्द्रीय उच्चतर तिब्बती अध्ययन संस्थान, सारनाथ को नामांकित किया गया है।
साधारण परिषद में शाजापुर के श्री सागरमल जैन और श्रीलंका के श्री वेन बनागला उपतिस्सा नायके थेरो को सदस्य बनाया गया।बैठक में संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. सेमडोंग लोबसंग तेन्जिन रिमपोचे, सदस्य श्री गेशे सेमटेन कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान, सारनाथ, सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. शशिप्रभा कुमार, विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी श्री राजेश गुप्ता, संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव उपस्थित थे।