श्रीमती सुषमा स्वराज ने कैलाश मानसरोवर यात्रा 2014 पहले जत्थे को रवाना किया। विदेश मामलों और प्रवासी भारतीय मामलों की मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने रवानगी की औपचारिकता के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा 2014 पर जाने वाले यात्रियों के पहले जत्थे को झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर श्रीमती सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में यह घोषणा भी की कि आगामी वर्ष से चीन के हिस्से वाला मार्ग खुलवाने के लिए चीन की सरकार से बात की जाएगी।
उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर की यह पवित्र यात्रा सबसे दुर्गम यात्रा है यहां सड़क भी नहीं हैं। ट्रैकिंग करके जाना पड़ता है लेकिन चीन के हिस्से वाले नथुला पास के आगे मोटर के आवागमन के लायक सड़क बनी हुई है यदि यह मार्ग यात्रा के लिए खुल जाता है तो यात्रियों को सुविधा मिलेगी चूंकि इस यात्रा में चीन की सरकार की सहायता भी जरुरी होती है इसीलिए भारत सरकार ने यात्रा की व्यवस्था को अपने हाथों में लिया है। आगामी वर्ष तक इस दुर्गम यात्रा को सुगम बनाने के लिए चीन के साथ बातचीत का प्रयास किया जाएगा।
सुबह पांच बजे विदा हुए पहले जत्थे में कुल 56 लोग हैं। जिसमें गुजरात के 16, दिल्ली के 14, हरियाणा के 2 महाराष्ट्र के 6 व राजस्थान के 4 बांकी तेलंगाना के 2, पश्चिम बंगाल के 2, कर्नाटक व केरल के भी दो-दो यात्री हैं। तमिलनाडु, यूपी, आंध्र प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, मप्र के भी एक-एक यात्री हैं। कुल 18 जत्थे जाने हैं। पिछले साल आई आपदा के कारण एक ही जत्था श्रद्धालुओं का जा पाया था। वापस आने की तारीख में आखिरी जत्था नौ सितंबर को वापस आएगा।
संभागीय आयुक्त ने बताया कि सरकार शहर में यात्रियों के ठहरने के दौरान उन्हें सभी सहायता देगी। इस अवसर पर दिल्ली सरकार तीर्थयात्रा विकास समिति के अध्यक्ष, संभागीय आयुक्त और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मौजूद थे।
विदेश मंत्री ने कैलाश मानसरोवर के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि मान्यता के अनुसार भगवान शिव शंकर कैलाश मानसरोवर पर विचरण करते रहते हैं इसीलिए गंगा से भी पवित्र जल मानसरोवर का माना जाता है। इस पवित्र यात्रा को झंडी दिखा कर कुछ न कुछ लाभ उन्हें भी जरूर मिलेगा और वहां से लाई जाने वाली जल की कुछ पवित्र बूंदे भी मिलेंगी
मानसरोवर झील
धार्मिक मूल्यों, सांस्कृतिक महत्व, नैसर्गिक सौंदर्य व रोमांचक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
मानसरोवर झील समुद्र तल से 4556 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। झील के पानी को लेकर श्रद्धालुओं में तरह-तरह की मान्यताएं हैं।
जैन व बौद्ध धर्म से भी जुड़ा है मानसरोवर
मानसरोवर को बौद्ध धर्मावलंबी भी पवित्र मानते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों के अनुसार, भगवान बुद्ध के जन्म से पहले उनकी माता माया ने मानसरोवर में स्नान किया था। यह भी माना जाता है कि जैन धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभ देव जी को मानसरोवर में ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।