भोपाल : मध्यप्रदेश ने बीते 10 वर्ष में विकास के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं उनमें उसके स्वयं के स्व–कर राजस्व की अहम भूमिका रही है। विगत 10 वर्ष में इसमें पाँच गुना से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में राज्य में स्वयं के करों से राजस्व की प्राप्ति मात्र 6805 करोड़ रुपये थी, जो 2013-14 में पाँच गुना से अधिक बढ़कर 33 हजार 382 करोड़ अनुमानित है। केन्द्रीय करों में राज्य का संवैधानिक अंश 23 हजार 694 करोड़ इसके अतिरिक्त है।
इसी प्रकार मध्यप्रदेश ने आयोजना व्यय में 6 गुना की महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है। इसके फलस्वरूप प्रदेश में अधोसंरचना का तेजी से विकास हुआ है। यह प्रदेश में लोगों के पास बढ़ते पैसों को भी दर्शाता है। प्रदेश में आयोजना व्यय वर्ष 2003-04 में 5684 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में छह गुना से अधिक बढ़कर 37 हजार 608 करोड़ अनुमानित है।
पूँजीगत व्यय बढ़ने से सड़क, बाँध सहित अधोसंरचना के विभिन्न क्षेत्र में बेहतर प्रावधान किये जा सके हैं। मध्यप्रदेश में पूँजीगत व्यय वर्ष 2003-04 में महज 2883 करोड़ रुपये था, जो 2013-14 में बढ़कर 17 हजार 558 करोड़ होना अनुमानित है।
वर्ष |
राजस्व आधिक्य |
2003-04 |
– 4,476 |
2004-05 |
+ 1,717 |
2005-06 |
+ 33 |
2006-07 |
+ 3,332 |
2007-08 |
+ 5,088 |
2008-09 |
+ 4063 |
2009-10 |
+ 5498 |
2010-11 |
+ 1581 |
2011-12(पु.अ.) |
+ 7791 |
2012-13(पु.अ.) |
+ 6370 |
2013-14(ब.अ.) |
+5215 |
कुशल वित्तीय प्रबंधन के एक अन्य मानक में अच्छी उपलब्धि हासिल करते हुए मध्यप्रदेश में 2004-05 से लगातार राजस्व आधिक्य का बजट प्रस्तुत हो रहा है। इससे पता चलता है कि प्रदेश ने अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया है। वर्ष 2003-04 में प्रदेश में राजस्व घाटा (माइनस) 4476 करोड़ रुपये था, जिसके उलट वर्ष 2013-14 में राजस्वाधिक (प्लस) 5215 करोड़ रुपये अनुमानित है।
स्व–कर राजस्व की स्थिति |
|
वर्ष |
राशि करोड़ रुपये में |
2003-04 |
6805.10 |
2004-05 |
7769.91 |
2005-06 |
9113.83 |
2006-07 |
10472.20 |
2007-08 |
12017.63 |
2008-09 |
13613.50 |
2009-10 |
17272.80 |
2010-11 |
21419.34 |
2011-12 |
26973.44 |
2012-13 |
29570.68 (पु.अ.) |
2013-14 |
33382.00 |