धर्मपथ-कृष्णमुरारी मोघे ने बैठक में विजयवर्गीय के कटाक्षों से आहत हो कर इस्तीफा दिया था.बैठक में अधिकारियों द्वारा नहीं सुने जाने की शिकायत पर विजयवर्गीय ने मोघे को बुरी तरह लताड़ा था.मोघे इस बदतमीजी और बेइज्जती को नहीं सह सके तथा इस्तीफा दिया था.इस घटना से हड़कंप मचते ही पूरा भाजपा का तंत्र सक्रिय हुआ और मुख्यमंत्री एवं अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा.
मोघे द्वारा सुचारू व्यवस्था ना कर पाने से जनप्रतिनिधि नाराज थे,उसमें आग में घी का काम विजयवर्गीय की लताड़ ने किया.चूंकि विजयवर्गीय अपना रुतबा बना कर रखना चाहते हैं इसीलिये उन्होने वरिष्ठता को ध्यान ना रखते हुए मोघे से वह कर दिया जो उन्हें नहीं करना था,इसका प्रतिफल इस्तीफे के रूप में हुआ.
आखिरकार बदनामी से घबराये विजयवर्गीय को बेकफुट पर आना पड़ा और उन्होने मोघे से माफी मांग उन्हे मनाया.कैलाश विजयवर्गीय के कद को मोघे के एक इस्तीफे ने कम कर दिया.इस घटना ने यह बता दिया है की भाजपा में अंदर ही अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है.