इंदौर की सांसद लोकसभा स्पीकर का नामांकन दाखिल कर रही थी । वहीं इंदौर में महाजन और प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ अपरोक्ष रुप से नाराजगी जताते हुए इंदौर नगर निगम के महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गुरुवार को लगभग साढ़े बारह निगम आयुक्त राकेशसिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया। महापौर की हैसियत से मिले शासकीय वाहन को वहीं पर छोड़कर निजी वाहन में बैठकर निकल गए। इस इस्तीफे से इंदौर की भाजपा में खलबली मच गई है। इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि जल कार्य विभाग की प्रभारी सपना चौहान भी इस्तीफा दे सकती है। हालांकि जानकारों का कहना कि यदि महापौर को अपना इस्तीफा देना ही था तो वह संभागायुक्त को देते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बताते है कि पिछले दिनों नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में निगम के कामों की समीक्षा के दौरान शहर के पांचों विधायकों ने निगम की काम करने की शैली पर नाराजगी जताई थी। इनके सुर में जहां विजयवर्गीय ने सहमति जताई थी वहीं पर इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इसको लेकर पार्टी स्तर पर काफी बवाल हुआ था। मोघे के करीबी लोगों का कहना है कि कैलाश और ताई की जुगलबंदी ने महापौर को नीचा दिखाने के लिए यह बैठक रखी थी। इसके पहले भी ताई ने अपनी ओर से एक बैठक ली थी उसमें इसी तरह का वाक्या हुआ था। बाद में ताई अपनी सफाई देने के लिए महापौर से मिलने के लिए उनके निवास पर गई थी। मोघे इस तरह की घेराबंदी से काफी आहत हो गए थे। उनका कहना था कि विधायक और पार्षद चार साल तक निगम के कामकाज को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं की। अब चूंकि निगम चुनाव नजदीक आ रहे है तो कतिपय लोग उनको घेरकर उनका शिकार करना चाहते है। कभी प्रदेश भाजपा के सिरमौर रहे मोघे ने ताई और भाई की दबाव की राजनीति का यह जवाब दिया और उन्होंने भी अपनी ओर से दबाव बनाने के लिए निगम आयुक्त को अपना इस्तीफा दिया है। और हो सकता है मान-मनौव्वल के बाद मोघे इस्तीफा वापस लेकर दबाव बनाने वाले नेताओं पर अपना दबाव कायम कर ले। क्योंकि तकनीकी तौर से इस्तीफा संभागायुक्त दिया जाना था। बताते है कि हाल ही में मोघे ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी और वहीं से इस बात के संकेत मिले थे कि उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है।
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