राष्ट्रपति पद के चुनाव के दिन यूक्रेन में हुई हिंसा में इटली के फोटो पत्रकार आंद्रेया रोचेली की मौत हो गई. उनका शव रविवार को कीव लाया गया. रोचेली पूर्वी यूक्रेन में मारे गए पहले पत्रकार हैं.
सिर्फ 30 साल के आंद्रेया रोचेली ने सेसुरा फोटो एजेंसी शुरू की थी और अमेरिकी मैगजीन न्यूजवीक और फ्रांसीसी दैनिक ला मोंडे के साथ काम करते थे.
वोस्टोक प्रेस एजेंसी के फ्रांसीसी फोटोग्राफर विलियम रोगुएलों ने बताया कि शनिवार को वह और रोचेली रूसी अनुवादक के साथ शहर में आने के बाद सरकारी सेना और अलगाववादियों के बीच गोलीबारी में अटक गए. रूसी मानवाधिकार ग्रुप मेमोरियल के मुताबिक अनुवादक आंद्रेई मिरोनोव भी इस हमले में मारे गए. रोगुएलों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच अचानक संघर्ष तेज हो गया.
इस कारण फोटोग्राफर और अनुवादक ने तय किया कि बचने के लिए एक गड्ढे में बचने के लिए छिपा जाए. जैसे ही वह वहां गए गड्ढे के बीचोंबीच हथगोला गिरा. फ्रांसीसी पत्रकार को भी दोनों पैरों में गहरी चोटें आई हैं. लेकिन यूक्रेनी विदेश और गृह मंत्रालय का कहना है कि उनके पास इस घटना की कोई रिपोर्ट नहीं आई. लेकिन स्वघोषित मेयर व्याचेस्लाव पोनोमारियोव ने रूसी मीडिया को बताया कि यूक्रेनी पक्ष के तीन आदमी हमले में फंस गए थे.
इटली के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मौत का सही कारण अभी तक पता नहीं चल सका है क्योंकि पूर्वी यूक्रेन के मु्श्किल हालात में किसी भी घटना की पुष्टि करना आसान नहीं, यूक्रेनी अधिकारियों के भी. मंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया कि कीव लाने से पहले उनके शव को पहचान के लिए स्लावियांस्क के एक अस्पताल में ले जाया गया था. मंत्रालय के मुताबिक, “युवा रिपोर्टर के परिवार ने कुछ घंटों पहले मंत्रालय और कीव में इतालवी दूतावास से संपर्क किया था क्योंकि वही शव कीव पहुंचने के बाद आगे की औपचारिकताएं पूरी करेंगे.”
यूक्रेन में रविवार को ही राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. लेकिन पूर्वी हिस्से से फिर झड़पों की खबरें हैं. वहां अलगाववादियों ने मतदान नहीं होने दिया.
मारे गए फोटोग्राफर रोचेली ने मिलान की पोलिटेकनिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और ट्यूनीशिया और लीबिया में हुई क्रांति के दौरान मौजूद थे. हाल ही में रूसी सरकार का विरोध करने वाले अखबार नोवाया गैजेटा की वेबसाइट पर 19 मई के दिन रोचेली का फोटो छपा था. जो स्लावियांस्क में जारी संघर्ष के दौरान परिवारों की हालात बयान करता है और फोटो का टाइटल था, “हम जानवर नहीं हैं.”from dw.de