(खुसर-फुसर)-म प्र भाजपा के मुख्यालय में एक मोर्चे के अध्यक्ष गर्मियों में छुट्टी का लुत्फ उठा रहे थे,वे इस सोच में थे की अच्छे दिन नहीं आयेंगे,लेकिन अच्छे दिन आते ही वे अपनी मस्ती में मगन थे इसलिये उन्हे भोपाल पहुँचते-पहुँचते देर हो गयी जब ख़बरनवीसों ने पूछा तो वे बोले ओपरेशन करवाया था खैर इन्हे यह चिंता सता रही थी की एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति होनी है और इन्हे तिकड़म भिड़ाने में देर हो गयी,जब दूसरे कार्यकर्ता नें कोशिशें शुरू की तब ये अपने अनुयायी जिन्हे ये उस पद पर नवाजना चाहते हैं उस पर झल्लाते और उसे भोपाली शब्दों से अलंकृत करते देखे गये क्योंकि उसे बड़े नेता की कदमबोशी में देर हो गयी थी.खैर आनन-फानन में उसे दौड़ाया और वह मोटा मुर्गा धीरे-धीरे गया.
अब इन्हें चिंता इस बात की है की जो सपने देखे थे वे धूमिल पड़ते नजर आ रहे हैं,क्योंकि ये किसी पर उपकार मुफ्त में नहीं करते भाई,दुकान खोलने में देर अवश्य हुई लेकिन …………………