भोपाल : भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल का नया भवन बनाया जायेगा। इस परियोजना में सुल्तानिया अस्पताल भी शामिल होगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुये निर्देश दिये कि गत वर्ष रतलाम, विदिशा तथा शहडोल में घोषित तीन मेडिकल कॉलेजों के भवन निर्माण पूर्ण करने के साथ वहाँ दो वर्ष में पढ़ाई भी शुरू हो जाय।
श्री चौहान ने बैठक में टास्क दिया कि मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों को अखिल भारतीय स्तर का बनाया जाय। इनमें बायपास सर्जरी और केंसर जैसे बड़े इलाजों की व्यवस्था रहे। इसके लिये नियमों को शिथिल कर विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा आवश्यक सर्पोटिंग स्टाफ की भर्ती की जाय। अधोसंरचना, उपकरण सहित तमाम व्यवस्थाएँ समय-सीमा निर्धारित कर पूरी की जायं। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राज्य मंत्री श्री शरद जैन, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डि सा भी मौजूद थे। स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की मुख्यमंत्री ने लगभग तीन घंटे तक अलग-अलग समीक्षा की। उन्होंने कहा कि शासकीय अस्पतालों की प्रतिष्ठा के लिये सफाई, उपकरण, दवा वितरण सहित चिकित्सा से जुड़ी सभी आवश्यकताओं में प्रभावी सुधार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की भर्ती को प्राथमिकता दी जाय। राज्य बीमारी सहायता बगैर विलम्ब के लोगों को मिले। इसके लिये प्रक्रिया को और सरल किया जाय।
बैठक में बताया गया कि सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों से अस्पतालों तथा विभागीय प्रक्रिया में व्यापक सुधार हुए हैं। विभाग में लम्बे समय से रिक्त पड़े पद भरने की प्रक्रिया तेजी से जारी है। राज्य में मातृ तथा शिशु मृत्यु दर तथा सकल प्रजनन दर में प्रभावी सुधार हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन चार लाख मरीज को नि:शुल्क दवा दी जा रही है तथा 75 हजार मरीज की प्रतिदिन नि:शुल्क पैथालॉजी जाँच होती है। लगभग 5000 मरीजों को वाहनों से लाया जा रहा है तथा 41 हजार मरीजों को प्रतिदिन भोजन दिया जा रहा है। अस्पतालों की व्यवस्था में बताये जा रहे सुधार पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे खुद अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे। बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ स्वास्थ्य सेवा में लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पूरे हमीदिया अस्पताल भवन का अलग-अलग चरण में पुनर्निर्माण किया जायेगा। इस प्रक्रिया में सुल्तानिया अस्पताल भी शामिल होगा। मेडिकल कॉलेजों तथा बड़े शासकीय अस्पतालों की प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने के लिये प्रशासकीय अधिकारी तैनात किये जायेंगे।
बताया गया कि चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल में 4 करोड़ रूपये की लागत से केंसर इलाज के लिये कैमरा सहित गामा केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। पाँच डायलिसिस मशीन कार्य कर रही हैं। इंदौर के महाराजा तुकोजीराव अस्पताल का पुनर्निर्माण प्रारंभ हो गया है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी विभाग का कार्य प्रगति पर है। जबलपुर में मेडिकल विश्वविद्यालय के लिये 52 एकड़ भूमि दी गयी है। प्रशासकीय भवन बन गया है तथा 275 पद भी निर्मित किये गये हैं। रीवा चिकित्सा महाविद्यालय में दो 46 सीटर हॉस्टल का निर्माण प्रारंभ हो गया है। सीटी स्केनर भी लग गया है।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में वर्ष 2018 तक शासकीय और निजी को मिलाकर 30 मेडिकल कॉलेज स्थापित हो जायेंगे। इससे अभी जहाँ 1700 डॉक्टर प्रतिवर्ष बनते हैं वहाँ यह संख्या लगभग 5 हजार डॉक्टर प्रति वर्ष हो जायेगी।
मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की शिकायतों को दूर करने के लिये काउंसलिंग व्यवस्था में किये गये सुधार की जानकारी भी दी गयी।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में 61 तरह की जाँच नि:शुल्क की जा रही है। इससे कोई पौने तीन लाख मरीजों को हर महीने सुविधा मिल रही है। इसी तरह प्रतिमाह चार लाख से अधिक मरीजों को मेडिकल कॉलेजों से नि:शुल्क दवाएँ दी जा रहीं हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त श्री अजय नाथ, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री प्रवीर कृष्ण तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री अजय तिर्की, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।