(धर्मपथ)- कॉंग्रेस को जबरजस्त हार का सामना करना पड़ा यह हार उतनी महत्वपूर्ण नहीं जितनी भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने की घटना है,लेकिन कॉंग्रेस के नेता अभी भी सच्चाई स्वीकार नहीं कर रहे हैं,वे मंहगाई,कुशासन और राष्ट्रवाद से डोर हटकर अभी भी जातीयता की सदी-गली लाश को पकड़े हुए हैं,सोनिया के बयान से यह लगता है जैसे आने वाले बवाल की उन्होने रूप -रेखा बना रखी है,जबकि जनता स्पष्टतः राष्ट्रभावना को जनादेश दे चुकी है,
बसपा को एक भी सीट उप्र में ना मिलना यह दर्शाता है की जाति-मज़हब से उपर उठ कर जनता ने मतदान किया है.लेकिन कॉंग्रेस अभी भी अपने उसी राग पर पड़ी है ,जनता तो अब यह सोचने पर मजबूर हो गयी है की सत्ता के लिये देशवासियों के बीच दरार कौन डालता है.नेताओं का जो बयान आ रहा है वह यह है की वे अपनी योजनाओं को ठीक से जनता तक नहीं पहुंचा पाये यदि ऐसा ही होता तो मंहगाई डायन खाये जात है गाना एक आम आदमी कैसे रचता.