Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 नृसिंह चतुर्दशी | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » नृसिंह चतुर्दशी

नृसिंह चतुर्दशी

10311000_646331688780492_113303195600076413_n13 मई को वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि है। इसे नृसिंह चतुर्दशी के नाम भी जाना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु ने इसी तिथि में नृसिंह अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। भगवान नृसिंह की कथा में तीन प्रतीक हैं।

ये प्रतीक तीन प्रवृत्तियों से जुड़े हैं – हिरण्यकशिपु अहंकार से भरी बुराई का प्रतीक है, प्रह्लाद विश्वास और भक्ति का प्रतीक है, भगवान नृसिंह भक्त के प्रति प्रेम के प्रतीक हैं। सवाल यह है कि हम अपने आपको किस दिशा में ले जाना चाहते हैं? यदि अहंकार और बुराई की ओर ले जाएंगे तो निश्चित ही अंत बुरा है।

नृसिंह अवतार की प्रेरणा है कि विश्वास और भक्ति को जीवन में उतारना होगा। प्रह्लाद से होते हुए आस्था व विश्वास का रास्ता भगवान तक जाता है। देवर्षि नारद के संसर्ग से प्रह्लाद के जीवन में भक्ति और प्रेम का जन्म हुआ। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था।

हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद का मन भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, परन्तु वह सफल नहीं हो सका। एक बार उसने अपनी बहन होलिका की सहायता से उसे अग्नि में जलाने के प्रयास किया, परन्तु उसे मायूसी ही हाथ लगी।

आखिर उसने प्रहलाद को तलवार से मारने का प्रयास किया, तब भगवान नृसिंह खम्भे से प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु को अपने जांघों पर लेते हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त की रक्षा की।

भक्तों के अनुसार इस दिन यदि कोई व्रत रखते हुए श्रद्धा और भक्तिपूर्वक भगवान नृसिंह की सेवा पूजा करता है तो वह पापों से मुक्त होकर प्रभु के परमधाम को प्राप्त करता है। प्रह्लाह की कथा प्रभु के प्रति अपार विश्वास की कथा है।

इस कथा का सार तत्व है कि ईश्वर की भक्ति के साथ विश्वास भी हो तब भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। लेकिन आमतौर पर हम लोग संकट की घड़ी में भगवान को पुकारते तो हैं लेकिन मन में विश्वास का अभाव होता है, यानी मन में संदेह बना रहता है कि भगवान सहायता करेंगे इसलिए ईश्वरीय कृपा की अनुभूति नहीं हो पाती है। 

नृसिंह चतुर्दशी Reviewed by on . 13 मई को वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि है। इसे नृसिंह चतुर्दशी के नाम भी जाना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु ने इसी तिथि में नृसिंह अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा 13 मई को वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि है। इसे नृसिंह चतुर्दशी के नाम भी जाना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु ने इसी तिथि में नृसिंह अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा Rating:
scroll to top