अनिल सिंह (खुसर-फुसर)- मध्यप्रदेश में संघ के उन कतिपय पदाधिकारियों का चेहरा सामने आने लगा है जो सिद्धांतों के लिये नहीं सिर्फ अपने स्वार्थ यानी नेतागिरी को चमकाने के लिये संघ का दामन थामें हुए हैं,ये कथित ठेकेदार युवा विरोधी,भ्रष्टाचार समर्थक और अन्याय के प्रति आवाज उठाने वालों को दबाव डाल मूल-धारा से अलग हटा देते हैं,संघ के पवित्र सिद्धांत रूपी वृक्ष में लगे ये दीमक रूपीघुन इस संस्था को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोडते.
खबर यह है की एक आनुषांगिक संगठन में अपनी सेवाएं देने वाला नवयुवक जिसने अव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई,भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के विरोध में आवाज उठाई उसका यह कृत्य उन मठाधीशों को पसंद नहीं आया और इस युवा सोच के,इस उर्जा के पर कतरने शुरू कर दिये,भोपाल में संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये जो न्याय और त्याग की मूर्ति माने जाते हैं.आखिर कब तक संघ अपने ही युवाओं का भक्षण करता रहेगा क्या राष्ट्रप्रेमी युवा इसी तरह निराश हो इस संगठन के कथित मठाधीशों के अत्याचार से दूर जाते रहेंगे क्या असर होगा जिन्हे वह अपना कहता है और अपना है ही नहीं.आज संघ अपने मूल विचार से नहीं हटा है अपितु उसमें घुसे कथित स्वार्थपोषक जन्तु उसे खा जा रहे हैं.
एक और खबर यह है की विचार पोषक एक खबरनवीस को संघ की खबर चलाने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है,इस पत्रकार की अधिमान्यता संघ के कथित नेताओं के इशारे पर रोक दी गयी है,इसका विपरीत असर समाज में दिखता नजर आ रहा है,जहां यह कहा जाता है की सही रास्ते पर चलने के लिये निंदक को साथ रखना होता है लेकिन यहाँ तो सच्चा आईना दिखाने वाले के पीछे वे बदसूरत लोग ही पीछे पड़ गये हैं आखिर क्यों?क्योंकि उनकी जो गैंग उन्होने बना रखी है उसकी दुकानदारी के गठबंधन में कमजोरी आती है,तू मेरी ढक,मैं तेरी ढकता हूँ के मंत्र पर कार्य करने वाले ये कुछ समाज विरोधी संघ के नाम पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं उठा रहे.
लेकिन हम तो भाई-साहब लिखेंगे और उजागर करेंगे इनके कारनामों को…………. अभी तो बहुत कुछ है जो आपकी आँखें खोल देगा,देखते है इनका कलम विरोधी चेहरा सामने आता है या ये सच्चाई को मान कर सत्य की राह पर चलते हैं.
ईश्वर इन्हे सद्बुद्धि दे,नहीं तो इतिहास गवाह है क्या हुआ है ?