इस बार के आम चुनाव को खास चुनाव भी कहा जा सकता है। हर चरण में मतदाताओं की बढ़ती रुचि इस ओर इशारा कर रही है कि जनता इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसका कुछ श्रेय सोशल मीडिया को भी जाता है। जिन्होंने जनता को जागरुक बनाने और अपने मताधिकार का सही प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया।
अमेरिका की तीन सोशल साइट फेसबुक, ट्विटर और गूगल इस बार के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। हर छोटी बड़ी खबरों, राजनेताओं के आरोप-प्रत्यारोप की पल-पल की जानकारी जनता को मुहैया करा रही हैं। ये तीन ऐसी वेबसाइट हैं जहां जनता भारत के किसी भी राजनेता की जानकारी प्राप्त कर सकता है साथ ही उनके बारे में अपनी निजी राय भी साझा कर सकता है। 16 मई को घोषित होने वाले चुनाव परिणाम में इन साइटों की प्रमुख भूमिका होगी।
उदाहरण के तौर पर देखे तो फेसबुक के भारत में अब तक करीब 10 करोड़ यूजर्स हैं जबकि ट्विटर के यूजर्स की संख्या इस साल जनवरी के बाद से दोगुनी हो गई है। लोकसभा चुनाव के सांतवें चरण के बाद ट्विटर पर 4.9 करोड़ से ज्यादा लोगों ने सिर्फ चुनावों आधारित मुद्दों पर चर्चा की। यह संख्या ट्विटर पर वर्ष 2013 में चुनावों से जुड़ी बातचीत [2 करोड़] के दोगुने से भी अधिक थी।
वर्ष 2009 में शशि थरूर एकमात्र ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिनका ट्विटर अकाउंट था और उनके 6 हजार फॉलोवर्स थे। पांच साल बाद अब शायद ही कोई ऐसा बड़ा नेता हो, जिसका माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर अकाउंट न हो। इस समय भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ट्विटर पर 38.9 लाख फॉलोवर्स के साथ पहले स्थान पर हैं जबकि 21.6 लाख फॉलोवर्स के साथ शशि थरूर दूसरे सबसे चर्चित राजनेता हैं।
मोदी के फेसबुक पर 1.4 करोड़ प्रशंसक हैं। बराक ओबामा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनके फेसबुक पर मोदी से ज्यादा प्रशंसक हैं। राजनैतिक पार्टियां, नेता और उम्मीदवार अपने मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन दे रही हैं। इसके चलते सोशल मीडिया की तीनों ही दिग्गज कंपनियों के राजस्व में पर्याप्त इजाफा हुआ है।