(खुसर-फुसर)– मध्यप्रदेश में चुनाव खत्म हो गए हैं और असंतुष्ट नेताओं को मुंह बंद रखने की समय सीमा भी समाप्त होने वाली है,लेकिन कुछ अतिअसंतुष्ट नेता अपने पेट में बनती गैस को नहीं पचा पा रहे है और पार्टी लाइन से अलग बयान डे जाते हैं,इस हेतु उन्होने कुछ पत्रकारिता संस्थानों को नियत कर रखा है और वे बयान उन्हे ही देते हैं,समय भी तय है बयान देने का मतलब मैच फिक्स होता है,परेशान होता है संगठन और उसके प्रवक्ता जो सफाई देते-देते परेशान हो जाते हैं.
नेताजी को पता हो की अब राज्य में संगठन मजबूत है और नेताजी के किए का हिसाब -किताब करने के लिये प्रतिबद्ध है,नेताजी को अब कोई चौंकने वाली खबर मिल सकती है जिस तरह जेलर सोमकुंवर को रिटायर होने के मात्र 4 दिन पहले प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया इसी तरह की कुछ खबर नेताजी को भी मिलाने वाली है.