नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। विश्व नृत्य दिवस के मौके पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कोरियोग्राफर श्यामक डावर का कहना है कि बॉलीवुड में कोरियोग्राफी तो ज्यादा बेहतर हो रही है, लेकिन वह महसूस करते हैं कि असली डांस की जगह तकनीकी डांस ने ले ली है।
डावर ने मुंबई से एक ईमेल साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “कोरियोग्राफी सचमुच ज्यादा संरचित हो रही है और उसकी शैली बदली है। ‘दिल तो पागल है’ गाने पर डांस के दौरान फिट डांसरों को लाकर एक नया चलन शुरू किया गया था। अब यह चलन सकारात्मक दिशा की ओर गया है।”
उन्होंने कहा, “लेकिन ईमानदारी से कहूं तो तकनीक ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तकनीक की मदद से एडीटर को कलाकारों द्वारा कई बार में किए गए एक डांस स्टेप को बाद में एक साथ जोड़ने में आसानी होती है। मैं इसे बहुत ही उबाऊ मानता हूं, मैं असली डांस नहीं देख पा रहा हूं। जब आप पीछे देखते हैं, हेलेन जी डांस के दौरान सभी तरह के सीक्वेंस का प्रयास करती थीं। वह डांस स्वाभाविक प्रतिभा थी।”
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने बॉलीवुड के चर्चित कलाकारों- शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय बच्चन, करीना कपूर खान और हॉलीवुड के कलाकारों केविन स्पेसी और जॉन ट्रावोल्ट को डांस के नुस्खे सिखाए हैं।
अपने अनोखे स्टेप्स के लिए लोकप्रिय, डांस निर्देशक डावर भारत में समकालीन जैज और डांस की पश्चिमी शैली को प्रयोग में लाने के लिए जाने जाते हैं।
डावर ने ‘दिल तो पागल है’, ‘ताल’, ‘बंटी और बवली’ और ‘धूम 2’ में डांस को कोरियोग्राफ किया है। वह मानते हैं कि भारतीय फिल्में हमेशा संगीत को बढ़ावा देती रही हैं।
वह कहते हैं कि यह नया चलन नहीं है। गुजरे जमाने में दिग्गज स्वाभाविक डांसर रहे हैं और यह हमारे फिल्म जगत के लिए आवश्यक चीज रही है।
अपनी जादुई मुस्कुराहट के लिए पहचाने जाने वाले डावर ने कहा, “लेकिन हां, ज्यादातर नवोदित कलाकार पेशेवर डांस की शिक्षा लेते हैं, जो उनके आत्मविश्वास, ताल और डांस के स्टेप समझने योग्य होने के लिए जरूरी है। शाहिद कपूर से लेकर सुशांत सिंह राजपूत, वरुण धवन, सोनाक्षी सिन्हा और अन्य अभिनय से पहले मेरी कक्षाओं में प्रशिक्षण के लिए आए हैं।”
श्यामक डावर फिलहाल ‘जग्गा जासूस’ और अपनी पहली मराठी फिल्म ‘हृदयांतर’ में काम कर रहे हैं।