नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में 826 आवासीय परियोजनाएं निर्धारित समय से लगभग 39 महीने पीछे चल रही हैं। इस लिहाज से पीछे चल रही परियोजनाएं पंजाब में सबसे अधिक हैं, और उसके बाद तेलंगाना और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है।
नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में 826 आवासीय परियोजनाएं निर्धारित समय से लगभग 39 महीने पीछे चल रही हैं। इस लिहाज से पीछे चल रही परियोजनाएं पंजाब में सबसे अधिक हैं, और उसके बाद तेलंगाना और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के एक अध्ययन में कहा गया है, “दिसंबर 2016 के अंत में 3,511 परियोजनाएं निर्माण एवं रियल एस्टेट सेक्टर में जिंदा थीं, जिनमें से 2,304 परियोजनाएं क्रियान्वयन के स्तर पर थीं। क्रियान्वयन के अधीन परियोजनाओं में से 886 निर्माण एवं रियल एस्टेट परियोजनाएं ज्यादा विलंब से चल रही हैं।”
अध्ययन में कहा गया है, “महत्वपूर्ण बात यह है कि विलंबित 886 परियोजनाओं में 826 परियोजनाएं आवासीय निर्माण की और 60 व्यावसायिक परिसर की हैं।”
अध्ययन में कहा गया है कि निर्माण और रियल एस्टेट परियोजनाएं औसतन 39 महीने देरी से चल रही हैं।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “आशा है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) में निवेश की अनुमति दिए जाने के बाद इस सेक्टर में निवेश में सुधार होगा, और इसके कारण परियोजनाओं में तेजी आएगी और उपभोक्ताओं का विश्वास बहाल होगा।”
अध्ययन में कहा गया है कि प्रमुख राज्यों में पंजाब में निर्माण एवं रियल एस्टेट परियोजनाएं सर्वाधिक 48 महीने की देरी से चल रही हैं, और इसके बाद तेलंगाना (45 महीने), पश्चिम बंगाल (44 महीने), ओडिशा (44 महीने), और हरियाणा (44 महीने) का स्थान है।
अध्यन के अनुसार, “इसी तरह मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में परियोजनाएं 42 महीने विलंब से चल रही हैं। जबकि महाराष्ट्र में 39 महीने की देरी दर्ज की गई है।”
अध्ययन में कहा गया है, “कर्नाटक में परियोजनाएं सबसे कम 31 महीने की देरी से चल रही हैं। राजस्थान व केरल में लगभग कर्नाटक जितनी ही देरी दर्ज की गई है, और इसके बाद गुजरात और तमिलनाडु का स्थान है।”
एसोचैम ने कहा है कि विभिन्न नियामकों और प्राधिकरणों से आवश्यक मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया के कारण लागत और अवधि बढ़ जाती है, जिसके कारण न सिर्फ आवासीय क्षेत्र में निवेश हतोत्साहित होता है, बल्कि विलंब होता है और भ्रष्टाचार भी पैदा होता है।
एसोचैम ने कहा है, “एक प्रभावी समाधान के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों को सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए एकल खिड़की प्रणाली पेश करनी चाहिए।”
एसोचैम ने कहा है कि सरकार को रियल एस्टेट के मामले में एक नियामक के बदले एक मददगार के रूप में काम करना चाहिए, खासतौर से वहां, जहां मांग आपूर्ति से अधिक है। राज्य सरकारों को अपने भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन रखना चाहिए, और उन्हें कंप्यूटरीकृत और ऑनलाइन रखना चाहिए।
चैंबर ने कहा है, “राज्य और स्थानीय प्रशासन के समन्वय में परिवहन, पानी, बिजली, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता जैसी बुनियादी अवसंरचना को परियोजना पूरी होने से काफी पहले ही पूरा कर लेना चाहिए।”