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 राम के तप-क्षेत्र में वानरों के मांस का निर्यात-हे-राम ? | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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राम के तप-क्षेत्र में वानरों के मांस का निर्यात-हे-राम ?

10176197_1492086304344433_8313023362180037796_nरायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अम्बागढ़ चौकी से केवल पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर जंगलों से घिरा शिवनाथ नदी का तट है, नदी के तट का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक खूबसूरत दृश्य उभर जाता है। लेकिन इस तट पर पिछले कुछ दिनों से कुछ ऐसा हो रहा था जिसे सुनकर इन्सानियत से भरोसा उठ जाए। शिकारियों ने यहां पर सैकड़ों बंदरों को मारकर उनके मांस सुखाने के लिए रखे थे, यही नहीं मांस को तेल में तलने और प्रोसेस करने के बाद एक्सपोर्ट भी किया जा रहा था। एक तरफ शिकारी इतनी बड़ी संख्या में बंदरों को मारकर उनका मांस बाहर भेज रहे हैं तो दूसरी तरफ चौकी क्षेत्र के रेंजर डी पेंटाराम का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले करीब एक महीने से अम्बागढ़ चौकी क्षेत्र में बस्तर के घुमंतू शिकारियों का दल सक्रिय है, जो जंगलों में बंदरों का शिकार करते हैं और उनके मांस को एक्सपोर्ट करते हैं। बताया जा रहा है कि इन शिकारियों के इस क्षेत्र में आने के बाद से क्षेत्र में वानरों की संख्या में तेजी से कमी आई है।

शिकारी जानवरों को पकडऩे के लिए रस्सी का फंदा लगाते हैं। स्वभाव से चंचल माने जाने वाले और जंगलों में इधर-उधर कूदने वाले बंदर इन फंडों में आसानी से फंस जाते हैं। इसके बाद उनकी हत्या कर उनको काटा जाता है। मांस को नदी के तट पर खुले में सूखने के लिए डाल दिया जाता है। सूखे मांस को तलकर उसका पार्सल बनाकर बाहर भेज दिया जाता है।

क्यों हो रही मांस की तस्करी?…………………………
अफ्रीका, चीन और दक्षिण एशिया के कुछ देशों में बंदरों के मांस, खासकर भेजे की खासी मांग है। इसे ही मांस की तस्करी की बड़ी वजह मानी जा रही है।

केवल एक किलोमीटर दूर है चेक पोस्ट…………………
घटनास्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर वनोपज जांच नाका है, बंदरों का मांस पिकअप वाहनों में भरकर इसी रास्ते से भेजा जाता है, लेकिन नाका में पदस्थ वन विभाग के कर्मियों को अब तक इसकी भनक तक नहीं लगी।

ग्रामीणों में आक्रोश………………………..
वानरों के प्रति स्थानीय ग्रामीण श्रद्धा का भाव रखते हैं, उनके विरुद्ध कभी हिंसा नहीं करते हैं। अंचल में वानरों के शव को सम्मान के साथ दफनाया जाता है और दफनाने के स्थान पर भगवा झंडी लगा दी जाती है ताकि उस पर किसी का पैर न पड़े। ऐसे में एक साथ सुनियोजित ढंग से की गई सैकड़ों वानरों की हत्या के कारण स्थानीय ग्रामीणों में खासा आक्रोश है।with thanks samachar hindi online fb

राम के तप-क्षेत्र में वानरों के मांस का निर्यात-हे-राम ? Reviewed by on . रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अम्बागढ़ चौकी से केवल पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर जंगलों से घिरा शिवनाथ नदी का तट है, नदी के तट का नाम सुनते ही आंखों के रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अम्बागढ़ चौकी से केवल पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर जंगलों से घिरा शिवनाथ नदी का तट है, नदी के तट का नाम सुनते ही आंखों के Rating:
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