(धर्मपथ)– भोपाल लोकसभा की आलोक संजर को टिकट तो मिल गयी औउर सब इसे सबसे अक्चा कदम भी मान रहे हैं लेकिन इसके पीछे की घटना हम आपके सामने ला रहे है क्यों इतनी जल्दबाजी में टिकट दी गयी जी हाँ यदि कुछ समय की भी देरी हो गई होती तो किसी और का टिकट पक्का हो गया था,उसी टिकट को रोकने के लिये मध्यप्रदेश के आलाकमान ने तुरत-फुरत सहमति बना कर आलोक संजर के नाम की घोषणा कर दी.
यह टिकट जिसे रोकने के लिये आलोक का टिकट घोषित किया गया वह नाम उमा भारती का था यदि कुछ देर और हो गयी होती तो उमा भारती का टिकट की घोषणा दिल्ली से हो जाती,क्योंकि झाँसी टिकट घोषित होने के बाद भी पांच दिन से उमा झाँसी नहीं गयी थी.
यदि उमा भोपाल से लड़ती तो सत्ता का समीकरण मध्यप्रदेश में बदल सकता था जिसे शिवराज एण्ड पार्टी नहीं चाहते हैं.