उन्होंने मोदी व शाह को सामाजिक न्याय व मछुआरों का विरोधी बताते हुए कहा कि गुजरात में मोदी के उदय के बाद मछुआरों, कोलियों का राजनीतिक व आर्थिक विकास बाधित हो गया, तब से आज तक 31 प्रतिशत अधिक आबादी वाला कोली, मछुआरा, निषाद समाज कैबिनेट मंत्री तक नहीं बन पाया।
अपने बयान में निषाद ने कहा कि मोदी ने इस बजट सत्र में ओबीसी के लिए एक पैसा भी न देकर अपना पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। निषाद ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को भी मछुआरों का विरोधी बताया।
उन्होंने कहा, “यदि दुर्भाग्यवश भाजपा के सहयोग से बसपा की सरकार बन गई तो मायावती 2007 की तरह 17 अतिपिछड़ी जातियों की अधिसूचना को निरस्त कर देंगी। भाजपा तीन बार समर्थन देकर मायावती को मुख्यमंत्री बना चुकी है।”
निषाद ने निषाद मछुआरों व अतिपिछड़े, अतिदलितों से आरक्षण की रक्षा के लिए सपा-कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने का आह्वान किया है।