Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 भारत में लोकसभा चुनाव– भाजपा के पक्ष में माहौल | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » फीचर » भारत में लोकसभा चुनाव– भाजपा के पक्ष में माहौल

भारत में लोकसभा चुनाव– भाजपा के पक्ष में माहौल

9_Del6287190भारत में कराए गए नए जनसर्वेक्षण में फिर से यह बात सामने आई है कि आने वाले आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत होगी और सतारूढ़ काँग्रेस गठबन्धन को भारी हार का मुँह देखना पड़ेगा। हालाँकि भारत में जनसर्वेक्षणों का कोई मतलब नहीं होता है, लेकिन फिर भी आगामी गर्मियों में होने वाले आम चुनावों में, ऐसा लगता है, देश में सरकार बदल ही जाएगी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भारी जीत होने जा रही है, यह अब कोई ख़बर नहीं है। लेकिन फिर भी ’टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ समूह और सी-वोटर एजेन्सी द्वारा कराया गया यह नया जनमतसंग्रह इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस जनमतसंग्रह के परिणामस्वरूप न सिर्फ़ भाजपा की जीत की बात कही गई है, बल्कि विभिन्न राज्यों में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी यह भी बताया गया है।

काँग्रेस की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है। देश के बड़े राज्यों में से सिर्फ़ कर्नाटक और केरल में उसके आगे रहने की सम्भावना है। इसके अलावा वह भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में जीत सकती है। जबकि सारा उत्तरी भारत और मध्य भारत भाजपा और उसके सहयोगी दलों के भगवा रंग में रंगा दिखाई दे रहा है। रेडियो रूस के विशेषज्ञ और रूस के सामरिक अध्ययन संस्थान के एक विद्वान बरीस वलख़ोन्स्की ने इस विषय में टिप्पणी करते हुए कहा :

भारत में भविष्यवाणियाँ आम तौर पर सच नहीं हो पातीं। ऐसे बहुत से कारक होते हैं, जिनका समाजविज्ञानी अनुमान नहीं लगा पाते। इनमें सबसे बड़ा कारक है देश में लागू मताधिकीय प्रणाली यानी जब किसी एक सीट पर किसी प्रत्याशी की विजय सिर्फ़ एक या कुछ ही वोट ज़्यादा होने से भी हो सकती है। इसके अलावा भारत की जनता बुरी तरह से विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों आदि में बँटी हुई है, मतदान केन्द्र पर मतदाता का आना या न आना अनिश्चित होता है या फिर मतदाता इतना भावुक होता है कि किसी एक छोटी-सी घटना से उसका मत हमदर्दी या सहानुभूति में किसी भी पार्टी को जा सकता है, ये सब कारण भी मतदान को प्रभावित कर सकते हैं। इसके फलस्वरूप सारे देश के स्तर पर अधिकांश वोट पाने वाली पार्टी भी, यह ज़रूरी नहीं है कि, संसद में भी बहुमत पा जाए।

पिछले चुनावों के बाद भारत में लगभग ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी। सन् 2009 के चुनावों से पहले ही बहुत से विश्लेषकों ने काँग्रेस की हार होने और क्षेत्रीय दलों के सामने आने की भविष्यवाणी कर दी थी। इसलिए प्रधानमन्त्री पद के लिए मनमोहन सिंह (काँग्रेस) और लालकृष्ण आडवाणी (भाजपा) के साथ-साथ मायावती (बसपा) का नाम भी लिया जाने लगा था। तब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री थीं। लेकिन जब चुनाव परिणामों की घोषणा हुई तो सब तुक्कों पर विराम लग गया। काँग्रेस के नेतृत्त्व में सँयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की भारी जीत हुई थी और मनमोहन सिंह दोबारा देश के प्रधानमन्त्री बन गए थे।

लेकिन इस बार जो जनसर्वेक्षण किए जा रहे हैं और जो भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं, उनमें इन सभी कारणों को पहले से ही शामिल कर लिया गया है और ज़्यादातर राज्यों में विभिन्न दलों को मिलने वाली एक-एक सीट का सर्वेक्षण किया गया है। इस वज़ह से काँग्रेस की जीत की सम्भावना बहुत ही कम है। बरीस वलख़ोन्स्की ने कहा :

हालाँकि काँग्रेस को मदद उन दलों से मिल सकती है, जिनसे उसे मदद की कोई आशा नहीं है और जो पार्टियाँ पूरी तरह से काँग्रेस विरोधी हैं। बात यह है कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ संसद में जीत कर नहीं पहुँचेगी। इसलिए क्षेत्रीय दल भी तीसरा मोर्चा बनाने की बात करने लगे हैं। तीसरा मोर्चा बनाने की बात बहुत पहले से ही की जा रही है। लेकिन इस सप्ताह के शुरू में बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करने के लिए दिल्ली आ पहुँची हैं। अब सवाल यह उठता है कि यदि यह ’तीसरा मोर्चा’ बन जाता है तो उसका आम चुनाव पर क्या असर पड़ेगा और चुनाव के बाद सरकार बनाने में यह तीसरा मोर्चा क्या भूमिका अदा करेगा? यानी सवाल यह है कि तीसरे मोर्चे के बनने से नुक़सान काँग्रेस को ज़्यादा होगा या भाजपा को? सवाल यह भी है कि यह ’तीसरा मोर्चा’ किस पार्टी को सरकार बनाने में अपना समर्थन देगा? शायद अब चुनाव के बाद वही पार्टी सरकार बनाएगी, जो तीसरे मोर्चे से सौदेबाज़ी के दौरान अधिक लाभप्रद शर्तें पेश करेगी यानी जो पार्टी तीसरे मोर्चे का समर्थन प्राप्त करने के लिए उसके दाम ज़्यादा लगाएगी।

लेकिन कुछ भी हो अब स्थिति को पूरी तरह से बदलना बहुत मुश्किल होगा। काँग्रेस की हार पक्की है और ’तीसरा मोर्चा भी स्थिति में कोई बड़ी सेंध नहीं लगा पाएगा। इसका मतलब यह है कि तीन महीने बाद भारत में सरकार बदलने जा रही है।

भारत में लोकसभा चुनाव– भाजपा के पक्ष में माहौल Reviewed by on . भारत में कराए गए नए जनसर्वेक्षण में फिर से यह बात सामने आई है कि आने वाले आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत होगी और सतारूढ़ काँग्रेस गठबन्धन को भारी ह भारत में कराए गए नए जनसर्वेक्षण में फिर से यह बात सामने आई है कि आने वाले आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत होगी और सतारूढ़ काँग्रेस गठबन्धन को भारी ह Rating:
scroll to top