भोपाल : देश में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन के साथ मध्यप्रदेश ने देश के खाद्यान्न कटोरे के रूप में अपनी पहचान बनाई है। देश के खाद्यान्न भण्डार में सर्वाधिक योगदान के लिये राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज नई दिल्ली में एक भव्य समारोह में मध्यप्रदेश को भारत सरकार के प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पुरस्कार ग्रहण किया। वर्ष 2010-11 में कृषि कर्मण पुरस्कार की स्थापना के बाद खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी में लगातार दूसरी बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश ने गेहूँ के साथ-साथ धान और दलहन तीनों में देश में सर्वोत्तम बढ़त प्राप्त की है। छिन्दवाड़ा जिले के चौरई की श्रीमती शशि खंडेलवाल और बड़नगर उज्जैन जिले के श्री योगेन्द्र कौशिक को प्रगतिशील किसान के रूप में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री वीरप्पा मोइली, कृषि मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन,मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश संगठन महामंत्री श्री अरविन्द मेनन, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव श्री मदन मोहन उपाध्याय, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा, कृषि संचालक श्री डी.एन. शर्मा एवं वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे। कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन में सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी, बिजली की उपलब्धता, समय पर खाद-बीज का वितरण, भण्डारण क्षमता में बढ़ोतरी, ब्याज रहित कृषि ऋण, गेहूँ, धान और मक्के के उपार्जन पर बोनस जैसे कारणों का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश में 2012-13 में 277 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन के साथ मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इसमें161 लाख टन गेहूँ उत्पादन शामिल है। प्रदेश लगातार दो अंकों की कृषि वृद्धि दर बनाये रखने में सफल हुआ है। देश के खाद्यान्न उत्पादन में प्रदेश का योगदान 11.2 प्रतिशत है। देश के कुल गेहूँ उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 17.5प्रतिशत और दलहन उत्पादन में 28.65 प्रतिशत है। इस प्रकार खाद्यान्न उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश, पंजाब,आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार को मध्यप्रदेश ने पीछे छोड़ दिया है। कृषि कर्मण पुरस्कार के लिये खाद्यान्न उत्पादन, उत्पादकता, खेती पर व्यय, देश की तुलना में उत्पादकता में बढ़ोतरी, और खाद्यान्न उत्पादन के लिये नवाचारी उपाय जैसे विशेष मापदंड निर्धारित किये गये थे। इन सभी मापदंडों में मध्यप्रदेश ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वर्ष 2007-08 में खाद्यान्न उत्पादन 128.30 लाख मीट्रिक टन था जो 2012-13में बढ़कर 277 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इसी प्रकार खाद्यान्न की उत्पादकता 2007-08 में 1064 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जो 2012-13 में बढ़कर 1952 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। गेहूँ उपार्जन पिछले पाँच साल में गेहूँ उत्पादन और उपार्जन में मध्यप्रदेश ने शानदार प्रदर्शन किया है। गेहूँ उत्पादकता वर्ष2007-08 में 1714 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जो अब 2959 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। गेहूँ उत्पादन वर्ष 2007-08में 67.37 लाख मीट्रिक टन था जो 2012-13 में बढ़कर 161.25 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इस साल 175 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचने का अनुमान है। पिछले पाँच साल में गेहूँ के प्रति क्विंटल उपार्जन पर 2702 करोड़ रुपये बोनस के रूप में गेहूँ उत्पादक किसानों को दिये गये हैं। साख सुविधा प्रदेश के रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन में किसानों की मेहनत के साथ उन्हें मिलने वाली साख सुविधाओं की भी मुख्य भूमिका रही है। छोटे किसान भी बोनी के लिये प्रोत्साहित हुए हैं। साख के अभाव में वे खेती में पैसे लगाने से हिचकते थे। ब्याज रहित कर्ज से उन्हें राहत मिली। पिछले पाँच साल में 39820 करोड़ रुपये ऋण के रूप उपलब्ध कराये गये। गेहूँ उत्पादन के लिये 34 हजार करोड़ बोनस के रूप में दिये गये। खेती के लिये सहकारिता कर्ज वर्ष 2013-14 में बढ़कर 11209 करोड़ रुपये हो गया है। यह वर्ष 2003-04 में मात्र 1213 करोड़ रुपये था। इस साल मार्च तक किसानों को 12 हजार करोड़ रुपये का सहकारिता ऋण दिया जायेगा। अगले पाँच साल में 25 हजार करोड़ तक यह आंकड़ा जायेगा। सिंचाई पिछले दस साल में प्रदेश्ने सिंचाई क्षमता बढ़ाने में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। बड़े जलाशयों और परियोजनाओं की नहरों का निर्माण दशकों बाद पूरा हुआ। बलराम तालाब योजना, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में कुओं का निर्मा Copyright 2014. Dharmpath. All rights reserved scroll to top
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