दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को मिली अप्रत्याशित सफलता और उसके बाद दिल्ली में उसकी सरकार के बनने से राष्ट्रीय राजनीति में भी बदलाव की आहटें सुनी जाने लगी हैं.स्वयं आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वास इतना अधिक बढ़ गया है कि वह न केवल हरियाणा विधानसभा के चुनाव बल्कि लोकसभा के चुनाव में भी पूरी ताकत झोंक कर भाग लेना चाहती है. पहले आप के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा की 100 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की घोषणा की थी, लेकिन जनता में पैदा उत्साह और राजनीतिक संस्कृति में परिवर्तन की उम्मीद को देखते हुए अब आप ने 300 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. दिल्ली के अलावा अनेक अन्य शहरों से जानी-मानी शख्सियतों के आप में शामिल होने के समाचार मिलने लगे हैं. प्रसिद्ध नृत्यांगना और अभिनेत्री मल्लिका साराभाई ने भी आप का पहचान बन चुकी सफेद टोपी पहन कर पार्टी में शामिल होने की घोषणा की है.
बीजेपी कुछ अधिक परेशान है क्योंकि प्रधानमंत्री पद के लिए उसके उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की चमक अचानक फीकी पड़ गई है और पत्र-पत्रिकाओं तथा टीवी चैनलों ने उनका नोटिस लेना काफी कम कर दिया है. इस समय आप ही सबसे अधिक चर्चा में है. अंग्रेजी दैनिक ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ द्वारा कराये गए एक सर्वेक्षण ने चौंकाने वाले नतीजे प्रस्तुत किए हैं और इसके अनुसार देश के 44 प्रतिशत मतदाता लोकसभा चुनाव में आप को वोट देना चाहते हैं. यदि यह सर्वेक्षण हकीकत के नजदीक है, तो यह बीजेपी के लिए बहुत बड़ा झटका होगा.
हिंदूवादी ताकतों की झुंझलाहट का बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को हिन्दू रक्षा दल नाम के एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने आप नेता प्रशांत भूषण के कश्मीर संबंधी बयान के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पार्टी के मुख्यालय पर हमला बोल दिया. इस हमले के बावजूद अरविंद केजरीवाल अपने या अपनी पार्टी के लिए पुलिस सुरक्षा लेने पर राजी नहीं हुए. जनता उनकी इस बात से भी बहुत प्रभावित है कि वे मुख्यमंत्री होने के बावजूद न स्वयं विशेष सुविधाएं ले रहे हैं, न अपनी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों को लेने दे रहे हैं. उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों की कारों पर लाल बत्ती लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इन दिनों दिल्ली में विशेषाधिकारों के मनमाने इस्तेमाल की हालत यह है कि हर विशिष्ट व्यक्ति अपने लिए ट्रैफिक से खाली सड़क चाहता है. केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश भी अपनी कार पर लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करते, इसलिए पिछले दिनों उन्हें तीन बार ट्रैफिक में फंसे रहना पड़ा क्योंकि सेना पुलिस ने थलसेनाध्यक्ष, वायुसेनाध्यक्ष और नौसेनाध्यक्ष के लिए ट्रैफिक रोककर सड़क को खाली किया हुआ था. रमेश ने इस संबंध में रक्षामंत्री ए के एंटनी को एक पत्र लिखकर विरोध प्रकट किया है. जयराम रमेश ने जो अनुभव तीन बार किया, आम नागरिक उसे रोज करता है. इसलिए वह केजरीवाल की सादगी का प्रशंसक है और उसे उम्मीद है कि भ्रष्टाचार कम होगा.
भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला कम पैसे और साधनों के साथ चुनाव लड़ने और जीतने को भारतीय राजनीति में एक बड़े परिवर्तन की शुरुआत मानते हैं क्योंकि इससे वह व्यक्ति भी चुनाव लड़ने की सोच सकता है जो बहुत अधिक साधनसंपन्न नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि लोकसभा चुनाव में आप को 50-60 सीटें मिल गईं, तो वह राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में होगी. लेकिन क्या वह इसके लिए तैयार है?