कोच्चि, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने शनिवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार से ब्रिटेन की जिस कंपनी ने नए नोट छापे हैं उसके साथ लेन-देन पर खुद को बेदाग साबित करने की मांग की है।
यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए चांडी ने कहा कि एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के अनुसार, इस कंपनी को वर्ष 2013 में ही काली सूची में डाल दिया गया था। यह कंपनी मुख्य रूप से नोट छापने का काम ही करती है।
एक संसदीय कमेटी ने जिस तरह से 1997-98 में तीन विदेशी कंपनियों से नोट छपवाए गए थे उसे लेकर गंभीर सवाल उठाए थे।
चांडी के अनुसार 1997-98 में भारतीय नोट छापने वाली तीन कंपनियों में एक कंपनी डी-ला-रू थी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जब आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की तो दिल्ली में हुए ‘इंडो-ब्रिटिश टेक समिट’ की डी-ला-रू मुख्य प्रायोजक थी।
यह सम्मेलन सात से नौ नवंबर तक चला था और इसमें ब्रिटेन और भारत के प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया था।
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक उसने भारत में वर्ष 2013 से 2015 तक कोई काम नहीं किया लेकिन वर्ष 2016 की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने भारत में काम फिर शुरू कर दिया है और कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्टिन सदरलैंड के अनुसार, वे भारत के मेक इन इंडिया अभियान में हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मोदी का यह कर्तव्य है कि वह बताएं कि इस कंपनी के भारत में कौन से व्यावसायिक हित हैं?”