नई दिल्ली, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)। नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष के अभियान में दरारें दिखने लगी हैं। इस विवादास्पद मुद्दे पर मंगलवार को यहां कांग्रेस द्वारा बुलाए गए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन से कई विपक्षी पार्टियां अलग हो गईं हैं।
नोटबंदी या इससे लोगों को होने वाली परेशानी के खिलाफ अभियान में शामिल कई महत्वपूर्ण सहयोगियों, जैसे जनता दल युनाइटेड(जद-यू), वाम दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने यहां कंस्टीट्यूशन क्लब में होने वाले संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लेने से सोमवार को इनकार कर दिया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि किसी भी सामूहिक प्रयास से पहले इसे लेकर विचार विमर्श जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “अभी तक विभिन्न विपक्षी पार्टियों के संसदीय समूहों में समन्वय था। अगर आपको (कांग्रेस को) इसे पार्टी स्तर तक आगे बढ़ाना है तो आपको यह पूर्व विचार विमर्श के साथ करना चाहिए।”
जद-यू नेता के.सी. त्यागी ने आईएएनएस से कहा, “हमें बताया नहीं गया था। हम नहीं जानते हैं कि संवाददाता सम्मेलन का क्या एजेंडा है, कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं है। ऐसे में हम कैसे भाग ले सकते हैं?”
एनसीपी के वरिष्ठ नेता डी. पी. त्रिपाठी ने कहा, “यद्यपि गत 8 नवम्बर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के गलत क्रियान्वयन को लेकर विपक्ष एकजुट है, लेकिन उनकी पार्टी संवाददाता सम्मेलन में नहीं जाएगी।”
त्रिपाठी ने कहा, “कई पार्टियां नहीं आ रही हैं, इसलिए हम भी नहीं आ रहे हैं।”
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने भी कोई फैसला नहीं लिया है।
सपा नेता नरेश अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, “हमने फैसला नहीं लिया है। कम से कम मैं नहीं जा रहा हूं। विस्तृत जानकारी के लिए आप मुलायम सिंह यादव से संपर्क कर सकते हैं।”
हालांकि, बिहार में जद-यू के एक घटक दल राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदू शेखर रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी की भागादारी की संभावना है।
विभिन्न राजनीतिक पार्टियां उस समय असहज हो गई थीं जब बिना जानकारी दिए संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन 16 दिसम्बर को उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने गया था।
नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे विपक्ष ने सरकार को अलग-थलग करने की कोशिश की थी और 16 नवम्बर को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही पूरे सत्र के लिए ठप रही।
कुछ दिनों पहले इस मुद्दे पर समर्थन के लिए कांग्रेस ने कई विपक्षी पार्टियों से संपर्क किया था। लेकिन, इस बार कांग्रेस की पहल से सभी विपक्षी पार्टियां सहमत होती नहीं दिख रहीं हैं।